गि॒रा यदी॒ सब॑न्धव॒: पञ्च॒ व्राता॑ अप॒स्यव॑: । प॒रि॒ष्कृ॒ण्वन्ति॑ धर्ण॒सिम् ॥
English Transliteration
girā yadī sabandhavaḥ pañca vrātā apasyavaḥ | pariṣkṛṇvanti dharṇasim ||
Pad Path
गि॒रा । यदि॑ । सऽब॑न्धवः । पञ्च॑ । व्राताः॑ । अ॒प॒स्यवः॑ । प॒रि॒ऽकृ॒ण्वन्ति॑ । ध॒र्ण॒सिम् ॥ ९.१४.२
Rigveda » Mandal:9» Sukta:14» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:2
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:2
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (पञ्च व्राताः) पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ (सबन्धवः) कर्मेन्द्रियों के साथ (यदि अपस्यवः) जब ईश्वरपरायण हो जाती हैं, तो (गिरा) परमात्मा की स्तुति से (धर्णसिम्) इस पृथिवी को (परिष्कृण्वन्ति) भूषित कर देती हैं ॥२॥
Connotation: - ज्ञानयोगी पुरुष जब शब्द स्पर्श रूप रस गन्ध इन पाँच विषयों को हटा कर अपने पाँचों ज्ञानेन्द्रियों को ईश्वर की ओर लगा देता है, तो इस सम्पूर्ण संसार को अलंकृत करता है। तात्पर्य यह है कि स्वभावतः बहिर्मुख इन्द्रियों को जिनको “पराञ्चि खानि व्यतृणत् स्वयम्भूः” कठ ४।१। स्वयंभू विधाता ने स्वभावतः बाहर की ओर बहनेवाली बनाया है, कोई एक धीर वीर पुरुष ही उनके वेग को बाहर से हटा कर उनको अन्तर्मुखी बनाता है, अन्य नहीं ॥२॥
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Word-Meaning: - (पञ्च व्राताः) पञ्च ज्ञानेन्द्रियाणि (सबन्धवः) कर्मेन्द्रियसहिताः (यदि अपस्यवः) यदा ईश्वरपराणि भवन्ति तदा (गिरा) परमात्मस्तुत्या (धर्णसिम्) इमां पृथिवीं (परिष्कृण्वन्ति) भूषयन्ति ॥२॥