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म॒द॒च्युत्क्षे॑ति॒ साद॑ने॒ सिन्धो॑रू॒र्मा वि॑प॒श्चित् । सोमो॑ गौ॒री अधि॑ श्रि॒तः ॥

English Transliteration

madacyut kṣeti sādane sindhor ūrmā vipaścit | somo gaurī adhi śritaḥ ||

Pad Path

म॒द॒ऽच्युत् । क्षे॒ति॒ । सद॑ने । सिन्धोः॑ । ऊ॒र्मा । वि॒पः॒ऽचित् । सोमः॑ । गौ॒री इति॑ । अधि॑ । श्रि॒तः ॥ ९.१२.३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:12» Mantra:3 | Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:38» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:3


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - जिस प्रकार (ऊर्मा) तरंगें (सिन्धोः) नदी का आश्रयण करती हैं और (विपश्चित्) विद्वान् (गौरी अधि श्रितः) वेदवाणी में अधिष्ठित होता है, इसी प्रकार (सोमः मदच्युत्) आनन्द के देनेवाला सौम्यस्वभाव परमात्मा (सादने क्षेति) यज्ञस्थल को प्रिय समझता है ॥३॥
Connotation: - कर्मयज्ञ योगयज्ञ जपयज्ञ इस प्रकार यज्ञ नाना प्रकार के हैं, परन्तु ‘यजनं यज्ञः’ जिसमें ईश्वर का उपासनारूप अथवा विद्वानों की संगतिरूप अथवा दानात्मक कर्म किये जायँ, उसका नाम यहाँ यज्ञ है और वह यज्ञ ईश्वर की प्राप्ति का सर्वोपरि साधन है। इसी अभिप्राय से ‘यज्ञो वै विष्णुः’ श. ।३७। परमात्मा का नाम भी यज्ञ है, इसी भाव को वर्णन करते हुये गीता में यह कहा है कि ‘एवं बहुविधा यज्ञा वितता ब्रह्मणो मुखे’ इस प्रकार के कई एक यज्ञ वेद में वर्णन किये गये हैं ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - यथा (ऊर्मा) वीचयः (सिन्धोः) नदीराश्रयन्ते अथ च (विपश्चित्) विद्वान् (गौरी अधि श्रितः) वेदवाचम् अधितिष्ठति तथैव (सोमः मदच्युत्) आनन्दप्रदः सौम्यस्वभावो भगवान् (सादने क्षेति) यज्ञस्थले सदा सुखेन निवसति ॥३॥