Word-Meaning: - (सोम) हे सोमगुणसम्पन्न परमात्मन् ! (महे, समर्यराज्ये) न्याययुक्त बड़े राज्य में (त्वा, सुतं) साक्षात्कार को प्राप्त आप (अनु, मदामसि) हमको आनन्दित करें। (पवमान) हे सबको पवित्र करनेवाले भगवन् ! (वाजान्, अभि) ऐश्वर्य्यों को लक्ष्य रखकर (प्र, गाहसे) हमको प्राप्त हों ॥२॥
Connotation: - मन्त्र में ऐश्वर्य्यों के लक्ष्य का तात्पर्य्य यह है कि ईश्वर में आध्यात्मिक तथा आधिभौतिक दोनों प्रकार के ऐश्वर्य्य हैं। जो पुरुष मुक्तिसुख को लक्ष्य रखते हैं, उनको निःश्रेयसरूप आध्यात्मिक ऐश्वर्य्य प्राप्त होता है और जो सांसारिक सुख को लक्ष्य रखकर ईश्वरपरायण होते हैं, उनको परमात्मा अभ्युदयरूप आधिभौतिक ऐश्वर्य्य प्रदान करते हैं ॥२॥