ए॒वामृता॑य म॒हे क्षया॑य॒ स शु॒क्रो अ॑र्ष दि॒व्यः पी॒यूष॑: ॥
English Transliteration
evāmṛtāya mahe kṣayāya sa śukro arṣa divyaḥ pīyūṣaḥ ||
Pad Path
ए॒व । अ॒मृता॑य । म॒हे । क्षया॑य । सः । शु॒क्रः । अ॒र्ष॒ । दि॒व्यः । पी॒यूषः॑ ॥ ९.१०९.३
Rigveda » Mandal:9» Sukta:109» Mantra:3
| Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:20» Mantra:3
| Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:3
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! (शुक्रः) आप बलस्वरूप (दिव्यः) दिव्यस्वरूप (पीयूषः) विद्वानों के लिये अमृत हैं, (सः) उक्तगुणसम्पन्न आप (महे) सदा के निवासार्थ (अमृताय) मुक्तिसुख तथा (क्षयाय) दोषनिवृत्ति के लिये (एव) इस प्रकार (अर्ष) प्राप्त हों, जिससे हम सदैव आपके आनन्द को भोग सकें ॥३॥
Connotation: - यहाँ मुक्तिरूप सुख का “पीयूष” शब्द से वर्णन किया है। ब्रह्मानन्द का नाम ही पीयूष है और उसी को अमृत, पीयूष, मुक्ति इत्यादि नाना प्रकार के शब्दों से कथन किया गया है ॥३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - हे परमात्मन् ! भवान् (शुक्रः) बलस्वरूपः (दिव्यः) दिव्यस्वरूपश्च (पीयूषः) विद्वद्भ्यः अमृतं (सः) स भवान् (महे) शश्वन्निवासाय (अमृताय) मुक्तिसुखाय च (क्षयाय) दोशनाशाय च (एव, अर्ष) एवं मां प्राप्नोतु येन सदैवाहमानन्दं भोक्तुं शक्नुयाम् ॥३॥