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इन्दु॒रिन्द्रा॑य तोशते॒ नि तो॑शते श्री॒णन्नु॒ग्रो रि॒णन्न॒पः ॥

English Transliteration

indur indrāya tośate ni tośate śrīṇann ugro riṇann apaḥ ||

Pad Path

इन्दुः॑ । इन्द्रा॑य । तो॒श॒ते॒ । नि । तो॒श॒ते॒ । श्री॒णन् । उ॒ग्रः । रि॒णन् । अ॒पः ॥ ९.१०९.२२

Rigveda » Mandal:9» Sukta:109» Mantra:22 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:12 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:22


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दुः) सर्वप्रकाशक परमात्मा (इन्द्राय) कर्मयोगी के लिये (तोशते) साक्षात्कार किया जाता है, (उग्रः) उग्रस्वरूप परमात्मा (श्रीणन्) अपनी प्रेरणा द्वारा (अपः, रिणन्) मन्द कर्मों को दूर करता हुआ (नि, तोशते) निरन्तर अज्ञान का नाश करता है ॥२२॥
Connotation: - इस मन्त्र का आशय यह है कि सुख की इच्छावाले पुरुष को मन्दकर्मों का सर्वथा त्याग करना चाहिये। जब तक पुरुष मन्द कर्म नहीं छोड़ता, तब तक वह परमात्मपरायण कदापि नहीं हो सकता और न सुख उपलब्ध कर सकता है, इसी अभिप्राय से मन्त्र में अज्ञान के नाश द्वारा मन्द कर्मों के त्याग का विधान किया है ॥२२॥ यह १०९ वाँ सूक्त और २१ वाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्दुः) सर्वप्रकाशकः परमात्मा (इन्द्राय) कर्मयोगिने (तोशते) साक्षात्क्रियते (उग्रः) उग्ररूपः सः (श्रीणन्) प्रेरयन् (अपः, रिणन्) मन्दकर्माण्यपनयन् (नि, तोशते) अज्ञानं नाशयति ॥२२॥ इति नवोत्तरशततमं सूक्तमेकोनविंशो वर्गश्च समाप्तः ॥