स वा॒ज्य॑क्षाः स॒हस्र॑रेता अ॒द्भिर्मृ॑जा॒नो गोभि॑: श्रीणा॒नः ॥
English Transliteration
sa vājy akṣāḥ sahasraretā adbhir mṛjāno gobhiḥ śrīṇānaḥ ||
Pad Path
सः । वा॒जी । अ॒क्षा॒रिति॑ । स॒हस्र॑ऽरेताः । अ॒त्ऽभिः । मृ॒जा॒नः । गोऽभिः॑ । श्री॒णा॒नः ॥ ९.१०९.१७
Rigveda » Mandal:9» Sukta:109» Mantra:17
| Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:7
| Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:17
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अद्भिः, मृजानः) कर्मों द्वारा साक्षात्कार करके (गोभिः, श्रीणानः) ज्ञानरूप वृत्तियों के अभ्यास से परिपक्व किया हुआ (सहस्ररेताः) अनन्त सामर्थ्यशाली परमात्मा (वाजी) जो ऐश्वर्य्यशाली है, (सः) वह अपने ज्ञानसुधा से (अक्षाः) हमको सिञ्चन करता है ॥१७॥
Connotation: - जब दृढ़ अभ्यास से परमात्मा का परिपक्व ज्ञान हो जाता है, तब परमात्मज्ञान, जो अमृत के समान है, वह उपासक को आनन्द प्रदान करता है, इसी का नाम यहाँ सिञ्चन करना है ॥१७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अद्भिः, मृजानः) कर्मद्वारा साक्षात्कृतः (गोभिः, श्रीणानः) ज्ञानवृत्तिभिः अभ्यासेन परिपक्वः (सहस्ररेताः) अनन्तसामर्थ्यशाली (वाजी) ऐश्वर्य्यशाली (सः) स परमात्मा स्वज्ञानसुधया (अक्षाः) मां सिञ्चति ॥१७॥