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आ सो॑ता॒ परि॑ षिञ्च॒ताश्वं॒ न स्तोम॑म॒प्तुरं॑ रज॒स्तुर॑म् । व॒न॒क्र॒क्षमु॑द॒प्रुत॑म् ॥

English Transliteration

ā sotā pari ṣiñcatāśvaṁ na stomam apturaṁ rajasturam | vanakrakṣam udaprutam ||

Pad Path

आ । सो॒त॒ । परि॑ । सि॒ञ्च॒त॒ । अश्व॑म् । न । स्तोम॑म् । अ॒प्ऽतुर॑म् । र॒जः॒ऽतुर॑म् । व॒न॒ऽक्र॒क्षम् । उ॒द॒ऽप्रुत॑म् ॥ ९.१०८.७

Rigveda » Mandal:9» Sukta:108» Mantra:7 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:18» Mantra:2 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:7


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्वम्, न) जो विद्युत् के समान (अप्तुरम्) अन्तरिक्षस्थ पदार्थों को गति देनेवाला (रजस्तुरम्) तेजस्वी पदार्थों को गति देनेवाला और (वनक्रक्षम्, उदप्रुतम्) जो सर्वत्र ओतप्रोत हो रहा है, ऐसे (स्तोमम्) स्तुतियोग्य परमात्मा को (परिसिञ्चत, आ) अपनी उपासनारूप वारि से भले प्रकार सिञ्चन करते हुए उसका (सोत) साक्षात्कार करें ॥७॥
Connotation: - विद्युदादि नानाविध कियाशक्तियों का प्रदाता, निर्माता तथा प्रकाशक एकमात्र परमात्मा ही है, वही सबका उपासनीय और वही सबको कल्याण का देनेवाला है ॥७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अश्वम्, न) यः विद्युदिव (अप्सुरम्) अन्तरिक्षपदार्थान् सुगत्या योजयति (रजस्तुरम्) तेजस्विपदार्थेभ्यश्च गतिं ददाति यश्च (वनक्रक्षं, उदप्रुतम्) सर्वत्रैव ओतप्रोतोऽस्ति तं (स्तोमं) स्तुत्यर्हं परमात्मानं (परि, सिञ्चत) उपासनारूपवारिणा सम्यक् सिञ्चत (आ) समन्तात् (सोत) साक्षात्कुरुत ॥७॥