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पव॑स्व॒ वाज॑सातये॒ऽभि विश्वा॑नि॒ काव्या॑ । त्वं स॑मु॒द्रं प्र॑थ॒मो वि धा॑रयो दे॒वेभ्य॑: सोम मत्स॒रः ॥

English Transliteration

pavasva vājasātaye bhi viśvāni kāvyā | tvaṁ samudram prathamo vi dhārayo devebhyaḥ soma matsaraḥ ||

Pad Path

पव॑स्व । वाज॑ऽसातये । अ॒भि । विश्वा॑नि । काव्या॑ । त्वम् । स॒मु॒द्रम् । प्र॒थ॒मः । वि । धा॒र॒यः॒ । दे॒वेभ्यः॑ । सो॒म॒ । म॒त्स॒रः ॥ ९.१०७.२३

Rigveda » Mandal:9» Sukta:107» Mantra:23 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:16» Mantra:3 | Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:23


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वानि, काव्या) सर्वज्ञता के सम्पूर्ण भावों को (अभि) लक्ष्य रखकर (पवस्व) आप हमको पवित्र करें, (सोम) हे सर्वोत्पादक परमात्मन् ! (देवेभ्यः) विद्वानों के लिये आप (मत्सरः) अत्यन्त आनन्दप्रद हैं और (त्वम्) तुमने (समुद्रम्) अन्तरिक्षरूपी कलश को (प्रथमः) सबसे प्रथम (विधारयः) धारण किया है, आप (वाजसातये) ऐश्वर्य्यधारण करने के लिये (पवस्व) हमको पवित्र बनायें ॥२३॥
Connotation: - हे परमात्मन् ! इस नभोमण्डल अर्थात् कोटि-कोटि ब्रह्माण्डों को एकमात्र आपने ही धारण किया है, इसलिये आप कृपा करके हमारे भावों को पवित्र बनायें, जिससे हम आपकी उपासना में प्रवृत्त रहें ॥२३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विश्वानि, काव्या) सकलसर्वज्ञताभावान् (अभि) लक्ष्यीकृत्य (पवस्व) मां पुनातु भवान् (सोम) हे सर्वोत्पादक ! (देवेभ्यः) विद्वद्भ्यः (मत्सरः) आनन्दप्रदोऽस्ति (त्वं) भवान् (समुद्रम्) अन्तरिक्षमिव कलशं (प्रथमः) पूर्वं (वि, धारयः) दधाति (वाजसातये) ऐश्वर्यधारणाय (पवस्व) मां पुनातु ॥२३॥