Devata: पवमानः सोमः
Rishi: पर्वतनारदौ द्वे शिखण्डिन्यौ वा काश्यप्यावप्सरसौ
Chhanda: उष्णिक्
Swara: ऋषभः
पु॒नाता॑ दक्ष॒साध॑नं॒ यथा॒ शर्धा॑य वी॒तये॑ । यथा॑ मि॒त्राय॒ वरु॑णाय॒ शंत॑मः ॥
English Transliteration
punātā dakṣasādhanaṁ yathā śardhāya vītaye | yathā mitrāya varuṇāya śaṁtamaḥ ||
Pad Path
पु॒नात॑ । द॒क्ष॒ऽसाध॑नम् । यथा॑ । शर्धा॑य । वी॒तये॑ । यथा॑ । मि॒त्राय॑ । वरु॑णाय । शम्ऽत॑मः ॥ ९.१०४.३
Rigveda » Mandal:9» Sukta:104» Mantra:3
| Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:7» Mantra:3
| Mandal:9» Anuvak:7» Mantra:3
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (दक्षसाधनम्) सम्पूर्ण ज्ञानों का एकमात्र आधार जो परमात्मा है, उसकी उपासना (शर्धाय) बल के लिये (वीतये) तृप्ति के लिये (पुनात) आप लोग करें। (यथा) जिस प्रकार (मित्राय) उपदेशक के लिये और (वरुणाय) अध्यापक के लिये (शन्तमः) सुखों का विस्तार करनेवाला वह परमात्मा हो, उस प्रकार आप उसके ज्ञान को लाभ करें ॥३॥
Connotation: - जिस प्रकार ग्रह-उपग्रहों का केन्द्र सूर्य है, इसी प्रकार सब ज्ञानों का आधार परमात्मा है। जो लोग ज्ञानी तथा विज्ञानी बनकर देश का सुधार करना चाहते हैं, उनको चाहिये कि परमात्मा से ज्ञानरूपी दीप्ति का लाभ करें ॥३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (दक्षसाधनम्) सम्पूर्णज्ञानानामेकमात्राधारः परमात्मा यस्तस्योपासनां(शर्धाय) बलाय (वीतये) तृप्तये (पुनात) कुरुत (यथा) येन प्रकारेण(मित्राय) उपदेशकाय (वरुणाय) अध्यापकाय च (शन्तमः) ससुखदःस्यात् तथोपासीध्वम् ॥३॥