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आ जा॒मिरत्के॑ अव्यत भु॒जे न पु॒त्र ओ॒ण्यो॑: । सर॑ज्जा॒रो न योष॑णां व॒रो न योनि॑मा॒सद॑म् ॥

English Transliteration

ā jāmir atke avyata bhuje na putra oṇyoḥ | saraj jāro na yoṣaṇāṁ varo na yonim āsadam ||

Pad Path

आ । जा॒मिः । अत्के॑ । अ॒व्य॒त॒ । भु॒जे । न । पु॒त्रः । ओ॒ण्योः॑ । सर॑त् । जा॒रः । न । योष॑णाम् । व॒रः । न । योनि॑म् । आ॒ऽसद॑म् ॥ ९.१०१.१४

Rigveda » Mandal:9» Sukta:101» Mantra:14 | Ashtak:7» Adhyay:5» Varga:3» Mantra:4 | Mandal:9» Anuvak:6» Mantra:14


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (न) जैसे (पुत्रः) पुत्र (ओण्योः) माता-पिता की (भुजे) भुजाओं की (अव्यत) रक्षा करता है, इसी प्रकार (जामिरत्के) अपने उपासकों की रक्षा करनेवाले परमात्मा के आधार पर आप लोग विराजमान हों और (न) जैसे कि (जारः) “जारयतीति जारोऽग्निः” कफादि दोषों का हनन करनेवाला अग्नि (योषणाम्) स्त्रियों को (सरत्) प्राप्त होता है और (न) जैसे कि, (वरः) वर (योनिम्) वेदी को (आसदम्) प्राप्त होता है, इसी प्रकार सर्वगुणाधार परमात्मा को आप लोग प्राप्त हों ॥१४॥
Connotation: - यहाँ कई दृष्टान्तों से परमात्मा की प्राप्ति का वर्णन किया है। कई एक लोग यहाँ “जारो न योषणां” के अर्थ स्त्रैण पुरुष अर्थात् स्त्रीलम्पट पुरुष के करते हैं, यह अर्थ वेद के आशय से सर्वथा विरुद्ध है, क्योंकि वेद सदाचार का रास्ता बतलाता है, दुराचार का नहीं ॥१४॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (न) यथा (पुत्रः) सुतः (ओण्योः) मातापित्रोः (भुजे) बाहू (अव्यत) रक्षति एवं (जामिः, अत्के) स्वोपासकरक्षकस्य परमात्मन आधारे विराजध्वं यूयं (न) यथा च (जारः) कफादिदोषाणां हन्ताग्निः (योषणां) स्त्रियं (सरत्) प्राप्नोति (न) यथा च (वरः) वरः (योनिं) वेदिं लभते एवं हि सर्वगुणाधारं परमात्मानं (आसदं) प्राप्नुवन्तु भवन्तः ॥१४॥