आ॒पा॒नासो॑ वि॒वस्व॑तो॒ जन॑न्त उ॒षसो॒ भग॑म् । सूरा॒ अण्वं॒ वि त॑न्वते ॥
English Transliteration
āpānāso vivasvato jananta uṣaso bhagam | sūrā aṇvaṁ vi tanvate ||
Pad Path
आ॒पा॒नासः॑ । वि॒वस्व॑तः । जन॑न्तः । उ॒षसः॑ । भग॑म् । सूराः॑ । आ । अण्व॑म् । वि । त॒न्व॒ते॒ ॥ ९.१०.५
Rigveda » Mandal:9» Sukta:10» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:34» Mantra:5
| Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:5
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (आपानासः) सब दुःखों का नाश करनेवाला (विवस्वतः) सूर्य से (उषसः, भगम्) उषारूप ऐश्वर्य को (जनन्तः) उत्पन्न करता हुआ (सूराः) गतिशील (अण्वम्) सूक्ष्मप्रकृति का (वितन्वते) विस्तार करता है ॥५॥
Connotation: - परमात्मा प्रकृति की सूक्ष्मावस्था से अथवा यों कहो कि परमाणुओं से सृष्टि को उत्पन्न करता है और सूर्यादि प्रकाशमय ज्योतियों से उषारूप ऐश्वर्यों को उत्पन्न करता हुआ संसार के दुःखों का नाश करता है। तात्पर्य यह है कि उषःकाल होते ही जिस प्रकार सब ओर से आह्लाद उत्पन्न होता है, इस प्रकार का आह्लाद और समय में नहीं होता, इसलिये उषःकाल को यहाँ ऐश्वर्यरूप से कथन किया है। यद्यपि प्रातः, सन्ध्या, मध्याह्न इत्यादि सब काल परमात्मा की विभूति हैं, तथापि जिस प्रकार की उत्तम विभूति उषःकाल है, वैसी विभूति अन्यकाल नहीं, तात्पर्य यह है कि उषःकाल को उत्पन्न करके परमात्मा ने सब दुःखों को दूर किया है अर्थात् उक्त काल में योगी तथा रोगी सब प्रकार के लोग उस परमात्मा के आनन्द में उषःकाल में निमग्न हो जाते हैं। एक प्रकार से उषःकाल अपनी लालिमा के समान ब्रह्मोपासनारूपी रंग से सम्पूर्ण संसार को रञ्जित कर देता है ॥५॥३४॥
Reads times
ARYAMUNI
Word-Meaning: - (आपानासः) सर्वथा क्लेशानामपहर्ता (विवस्वतः) सूर्यात् (उषसः, भगम्) उषोरूपं स्वैश्वर्यम् (जनन्तः) जनयन् (सूराः) गन्त्रीम् (अण्वम्) सूक्ष्मप्रकृतिम् (वितन्वते) वितनोति ॥५॥