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अ॒स्येदिन्द्रो॒ मदे॒ष्वा विश्वा॑ वृ॒त्राणि॑ जिघ्नते । शूरो॑ म॒घा च॑ मंहते ॥

English Transliteration

asyed indro madeṣv ā viśvā vṛtrāṇi jighnate | śūro maghā ca maṁhate ||

Pad Path

अ॒स्य । इत् । इन्द्रः॑ । मदे॑षु । आ । विश्वा॑ । वृ॒त्राणि॑ । जि॒घ्न॒ते॒ । शूरः॑ । म॒घा । च॒ । मं॒ह॒ते॒ ॥ ९.१.१०

Rigveda » Mandal:9» Sukta:1» Mantra:10 | Ashtak:6» Adhyay:7» Varga:17» Mantra:5 | Mandal:9» Anuvak:1» Mantra:10


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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रः) विज्ञानी पुरुष (अस्येत्) इसी भाव से (विश्वा) सम्पूर्ण (वृत्राणि) अज्ञानों को (जिघ्नते) नाश करता है (च) और इसी श्रद्धा के भाव से (शूरः) शूरवीर (मदेषु) अपनी वीरता के मद में मस्त होकर (मघा) ऐश्वर्य्यों को (मंहते) प्राप्त होता है ॥१०॥
Connotation: - श्रद्धा के भाव से ही विज्ञानी पुरुष अज्ञानरूपी शत्रुओं का नाश करता है और श्रद्धा के भाव से ही वीर पुरुष युद्ध में शत्रुओं को जीतता है। श्रद्धा के भाव से ही ऐश्वर्य्य को प्राप्त होता है ॥१०॥ पहला सूक्त और सत्रहवाँ वर्ग समाप्त हुआ ॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (इन्द्रः) विज्ञानी पुरुषः (अस्येत्) अनेनैव भावेन (विश्वा) सर्वाणि (वृत्राणि) अज्ञानानि (आजिघ्नते) नाशयति (च) किञ्च अनेनैव श्रद्धाभावेन (शूरः) वीरपुरुषः (मदे) स्वकीयवीर्य्यमदे दृप्तः (मघा) ऐश्वर्य्यम् (मंहते) प्राप्नोति ॥१०॥ इति प्रथमं सूक्तं सप्तदशो वर्गश्च समाप्तः ॥