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त्वं ह॒ यद्य॑विष्ठ्य॒ सह॑सः सूनवाहुत । ऋ॒तावा॑ य॒ज्ञियो॒ भुव॑: ॥

English Transliteration

tvaṁ ha yad yaviṣṭhya sahasaḥ sūnav āhuta | ṛtāvā yajñiyo bhuvaḥ ||

Pad Path

त्वम् । ह॒ । यत् । य॒वि॒ष्ठ्य॒ । सह॑सः । सू॒नो॒ इति॑ । आ॒ऽहु॒त॒ । ऋ॒तऽवा॑ । य॒ज्ञियः॑ । भुवः॑ ॥ ८.७५.३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:75» Mantra:3 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:24» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:8» Mantra:3


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (महेनदे) हे विविध शाखायुक्ते (परुष्णि) हे सुखों को पहुँचानेवाली बुद्धि देवि ! (आपः) हे गमनशील इन्द्रियगण ! (सत्यम्+इत्) सत्य ही (त्वा) तुमको (अवदेदिशम्) कहता हूँ कि (शविष्ठात्) परम बलवान् परमात्मा की अपेक्षा अधिक (अश्वदातरः) अश्वादि पशुओं और हिरण्यादि धनों को देनेवाला (मर्त्यः) मनुष्य (नेम्) नहीं है, अतः आप सब मिलकर उसी की प्रार्थना उपासना करें ॥१५॥
Connotation: - जिस कारण परमदेव सब प्रकार से हम लोगों को सुख पहुँचा रहा है और धनादि उपार्जन के लिये बुद्धि विवेक पुरुषार्थ देता है, अतः उसकी आज्ञा पर चलकर कल्याणाभिलाषी होवें ॥१५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे महेनदि=विविधशाखायुक्ते ! हे परुष्णि=पूरयित्रि बुद्धिदेव ! सत्यमित्=सत्यमेव। त्वा=त्वाम्। अव+देदिशम्= कथयामि। हे आपः=आपनशीलानि इन्द्रियाणि ! शविष्ठात् परमबलवत ईश्वरात्। अश्वदातरः=अश्वादिपशुप्रदातृतरः। मर्त्यः। नेम्=नास्ति ॥१५॥