आक्ष्ण॒यावा॑नो वहन्त्य॒न्तरि॑क्षेण॒ पत॑तः । धाता॑रः स्तुव॒ते वय॑: ॥
English Transliteration
ākṣṇayāvāno vahanty antarikṣeṇa patataḥ | dhātāraḥ stuvate vayaḥ ||
Pad Path
आ । अ॒क्ष्ण॒ऽयावा॑नः । व॒ह॒न्ति॒ । अ॒न्तरि॑क्षेण । पत॑तः । धाता॑रः । स्तु॒व॒ते । वयः॑ ॥ ८.७.३५
Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:35
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:24» Mantra:5
| Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:35
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SHIV SHANKAR SHARMA
मरुद्विज्ञान का फल कहते हैं।
Word-Meaning: - बाह्यवायु के विज्ञान से और प्राणायाम के अभ्यास से क्या लाभ होता है, इसको इस ऋचा से कहते हैं। (अक्ष्णयावानः) चारों तरफ फैलते हुए गमन करनेवाले या नयनापेक्षया अधिक गमन करनेवाले (अन्तरिक्षेण+पततः) आकाशमार्ग से चलनेवाले (धातारः) और विविधगुणधारक वे मरुद्गण या प्राण (स्तुवते) उनके गुणों को जाननेवाले के लिये (वयः) विविध प्रकार के अन्न या पूर्णायु (आ+वहन्ति) लाते हैं ॥३५॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! वायुतत्त्व को जानकर इनको कार्य में लगाओ। इससे अभाव में तुम नहीं रहोगे ॥३५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (पततः) चलते हुए योद्धाओं को (अक्ष्णयावानः) अतिवेगवाले रथ (अन्तरिक्षेण) अन्तरिक्षमार्ग से (वहन्ति) ले जाते हैं और (स्तुवते) अनुकूल प्रजा को (वयः) अन्नादि आवश्यक पदार्थ (धातारः) पुष्ट करते हैं ॥३५॥
Connotation: - जिन योद्धाओं को उनके यान नभोमण्डल द्वारा प्रवाहण करते हैं, वे योद्धा यश और ऐश्वर्य्यादि सब प्रकार के सुखसम्पादन करते हैं अर्थात् उनकी प्रजा उनके अनुकूल होने से वे सब प्रकार के सुख भोगते हैं ॥३५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
मरुद्विज्ञानस्य फलमाह।
Word-Meaning: - अक्ष्णयावानः=व्याप्तं यान्तः। यद्वा। अक्ष्णश्चक्षुषोऽपि शीघ्रं यान्तीत्यक्ष्णयावानः=शीघ्रगमनकारिणः। अन्तरिक्षेण= आकाशेन। पततः=पतन्तो गच्छन्तः। धातारः=धारकाः= विविधगुणधारकाः। मरुतः=वायवः प्राणा वा। स्तुवते=तद्गुणान् जानते जनाय। वयोऽन्नम्। पूर्णायुर्वा। आवहन्ति=आनयन्ति ॥३५॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (पततः) गच्छतस्तान् (अक्ष्णयावानः) द्रुततरगामिनो रथाः (अन्तरिक्षेण) अन्तरिक्षमार्गेण (वहन्ति) गमयन्ति (स्तुवते) स्तोत्रे (वयः) अन्नादि (धातारः) पुष्णन्तः ॥३५॥