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उदी॑रयन्त वा॒युभि॑र्वा॒श्रास॒: पृश्नि॑मातरः । धु॒क्षन्त॑ पि॒प्युषी॒मिष॑म् ॥

English Transliteration

ud īrayanta vāyubhir vāśrāsaḥ pṛśnimātaraḥ | dhukṣanta pipyuṣīm iṣam ||

Pad Path

उत् । ई॒र॒य॒न्त॒ । वा॒युऽभिः॑ । वा॒श्रासः॑ । पृश्नि॑ऽमातरः । धु॒क्षन्त॑ । पि॒प्युषी॑म् । इष॑म् ॥ ८.७.३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:3


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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायाम का फल कहते हैं।

Word-Meaning: - (वाश्रासः) प्राणायामकाल में शब्द करनेवाले (पृश्निमातरः) और आन्तरिक वायु से प्रेरित प्राण जब (वायुभिः) बाह्य वायुओं के साथ (उदीरयन्त) ऊपर उठते हैं तब (पिप्युषीम्+इषम्) नित्य बढ़नेवाले मेधा को (धुक्षन्त) आत्मा से प्राप्त करते हैं ॥३॥
Connotation: - जब आन्तरिक वायु बाह्य वायु के साथ मिलकर प्राणायामकाल में ऊपर को चढ़ता है, तब प्रत्येक नयनादिक प्राण को पूर्ण बल और बुद्धि प्राप्त होती है अर्थात् धीरे-२ शक्ति और ज्ञान का प्रकाश होने लगता है ॥३॥
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ARYAMUNI

अब वेदवाणी को माता तथा स्वतःप्रमाण कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (पृश्निमातरः) सरस्वती मातावाले (वाश्रासः) शब्दायमान योद्धा लोग (वायुभिः) वायुसदृश सेना द्वारा (उदीरयन्त) शत्रुओं को प्रेरित करते हैं (पिप्युषीम्) बलादि को बढ़ानेवाली (इषम्) सम्पत्ति को (धुक्षन्ति) दुहते हैं ॥३॥
Connotation: - जिन लोगों की एकमात्र ईश्वर की वाणी माता है, वे लोग सदैव विजय को प्राप्त होते हैं, क्योंकि ईश्वर की वाणी को मानकर ईश्वर के नियमों पर चलने के समान संसार में और कोई बल नहीं, इसलिये मनुष्य को चाहिये कि वह वेदवाणी को स्वतःप्रमाण मानता हुआ ईश्वर के नियमों पर चले ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणायामफलमाह।

Word-Meaning: - वाश्रासः=वाशनशीलाः शब्दकारिणः प्राणायामकाले। पृश्निमातरः=पृश्निर्माध्यमिका वाक् सा माता जननी येषां ते पृश्निमातरः=आन्तरिकवाणीप्रेरिता इत्यर्थः। इदृशा मरुतः प्राणाः। यदा। वायुभिर्बाह्यैः सह। उदीरयन्त=ऊर्ध्वं गच्छन्ति। तदा। पिप्युषीम्=वर्धयित्रीम्। इषम्=मेधान्नम्। धुक्षन्त=दुहन्ति=प्राप्नुवन्ति ॥३॥
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ARYAMUNI

अथ वेदवाग् माता स्वतःप्रमाणं चास्तीति कथ्यते।

Word-Meaning: - (पृश्निमातरः) सरस्वतीमातरः (वाश्रासः) शब्दायमाना मरुतः (वायुभिः) सेनाभिः (उदीरयन्त) शत्रून् प्रेरयन्ति (पिप्युषीम्) बलादीनां वर्धयित्रीम् (इषम्) सम्पत्तिं (धुक्षन्त) दुहन्ति ॥३॥