सु॒षोमे॑ शर्य॒णाव॑त्यार्जी॒के प॒स्त्या॑वति । य॒युर्निच॑क्रया॒ नर॑: ॥
English Transliteration
suṣome śaryaṇāvaty ārjīke pastyāvati | yayur nicakrayā naraḥ ||
Pad Path
सु॒ऽसोमे॑ । श॒र्य॒णाऽव॑ति । आ॒र्जी॒के । प॒स्त्य॑ऽवति । य॒युः । निऽच॑क्रया । नरः॑ ॥ ८.७.२९
Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:29
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:23» Mantra:4
| Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:29
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SHIV SHANKAR SHARMA
समाधि का वर्णन करते हैं।
Word-Meaning: - समाधि अवस्था में प्राण कहाँ जाते हैं, इसका संक्षिप्त वर्णन यहाँ करते हैं। यथा−(नरः) सब इन्द्रियों के नेता प्राण (निचक्रथा) धीर गति से (सुसोमे) मधुर रसयुक्त (आर्जीके) शिरःसम्बन्धी और (पस्त्यावति) गृहसहित (शर्य्यणावति) ब्रह्मरन्ध्ररूप सरोवर के मध्य (ययुः) जाते हैं ॥२९॥
Connotation: - बारम्बार समाधि के अभ्यास से वे प्राण शिर के ब्रह्मरन्ध्र में जाकर शान्ति लेते हैं ॥२९॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (नरः) वे नेता लोग (सुषोमे, शर्यणावति) सुन्दर सोमवाले उन्नत प्रदेशों में और (आर्जीके, पस्त्यावति) सुन्दर गृहोंवाले सरल=अधःप्रदेशों में (निचक्रया) स्वचक्र को वशीभूत करते हुए (यान्ति) चलते हैं ॥२९॥
Connotation: - जो हिमालय आदि उच्च प्रदेश और जो समुद्रपर्य्यन्त निम्न प्रदेश हैं, उन सब प्रदेशों में पदार्थविद्यावेत्ता योद्धाओं का रथचक्र अव्याहतगति होता है अर्थात् उनके जलयान, पृथिवीयान तथा नभोयानादि यानों को कोई प्रतिपक्षी रोक नहीं सकता ॥२९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
समाधिर्वर्ण्यते।
Word-Meaning: - नरो नेतारः प्राणाः। निचक्रया=नीचीनचक्रया=धीरगत्या। सुसोमे=शोभनसोमे=मधुररसे। आर्जीके=शिरःसम्बन्धिनि। पुनः। पस्त्यावति=गृहवति। पस्त्यं गृहम्। शर्य्यणावति=ब्रह्मरन्ध्ररूपे सरसि मध्ये। ययुः=गच्छन्ति ॥२९॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (नरः) नेतारस्ते (सुषोमे, शर्यणावति) शोभनसोमयुक्ते उन्नतप्रदेशे (आर्जीके, पस्त्यावति) शोभनगृहयुक्ते अधःप्रदेशे वा (निचक्रया) निगृहीतचक्रया गत्या (ययुः) यान्ति ॥२९॥