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वि॒द्युद्ध॑स्ता अ॒भिद्य॑व॒: शिप्रा॑: शी॒र्षन्हि॑र॒ण्ययी॑: । शु॒भ्रा व्य॑ञ्जत श्रि॒ये ॥

English Transliteration

vidyuddhastā abhidyavaḥ śiprāḥ śīrṣan hiraṇyayīḥ | śubhrā vy añjata śriye ||

Pad Path

वि॒द्युत्ऽह॑स्ताः । अ॒भिऽद्य॑वः । शिप्राः॑ । शी॒र्षन् । हि॒र॒ण्ययीः॑ । शु॒भ्राः । वि । अ॒ञ्ज॒त॒ । श्रि॒ये ॥ ८.७.२५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:25 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:25


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसी को दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - पुनः वे मरुद्गण (शीर्षन्) आकाश में (हिरण्ययीः) सुवर्णमय अर्थात् अत्युत्तम (शिप्राः) गतियों को (श्रिये) जगत् के कल्याण के लिये (व्यञ्जत) प्रकट करते हैं (विद्युद्धस्ताः) जिनके मानो हाथ विद्युत् के समान चञ्चल हैं और (अभिद्यवः) जो चारों तरफ देदीप्यमान हो रहे हैं और जो (शुभ्राः) शोभमान हैं ॥२५॥
Connotation: - यह वायु का स्वाभाविक वर्णन है कि ईश्वरीय प्रबन्ध से ज्यों-२ वायु का प्रसार आकाश में होता गया, त्यों-२ जगत् का मङ्गल बढ़ता गया ॥२५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विद्युद्धस्ताः) विद्युत् शक्तिवाले शस्त्रों को हाथ में लिये हुए (अभिद्यवः) चारों ओर से द्योतमान वे योद्धा (शीर्षन्) शिर में (हिरण्ययीः) सुवर्णमय (शुभ्राः) सुन्दर (शिप्राः) शिरस्त्राण को (श्रिये) शोभा के लिये धारण किये हुए (व्यञ्जत) प्रकाशित होते हैं ॥२५॥
Connotation: - पदार्थविद्यावेत्ता योद्धा लोग नाना प्रकार के विद्युत् शस्त्रों को लेकर धर्मयुद्ध में उपस्थित हों और शत्रुओं को विजय करते हुए प्रकाशित हों ॥२५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तदेव दर्शयति।

Word-Meaning: - पुनः। मरुतः। शीर्षन्=शीर्ष्णि=शिरसि=आकाशे। हिरण्ययीः=हिरण्यमयीः=शोभमानाः। शिप्राः=गतीः। श्रिये=जगत्कल्याणाय। व्यञ्जत=व्यञ्जयन्ति=व्यक्तीकुर्वन्ति। कीदृशाः। विद्युद्धस्ताः=विद्युत इव चञ्चलहस्ताः। अभिद्यवः=अभितो द्योतमानाः। पुनः। शुभ्राः ॥२५॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (विद्युद्धस्ताः) विद्युच्छक्तिमच्छस्त्रहस्ताः (अभिद्यवः) अभितो द्योतमानाः (शीर्षन्) शिरस्सु (हिरण्ययीः) हिरण्मयीः (शुभ्राः) शोभनाः (शिप्राः) शिरोरक्षणीः (श्रिये) शोभायै दधानाः (व्यञ्जत) प्रकाशन्ते ॥२५॥