आ नो॑ र॒यिं म॑द॒च्युतं॑ पुरु॒क्षुं वि॒श्वधा॑यसम् । इय॑र्ता मरुतो दि॒वः ॥
English Transliteration
ā no rayim madacyutam purukṣuṁ viśvadhāyasam | iyartā maruto divaḥ ||
Pad Path
आ । नः॒ । र॒यिम् । म॒द॒ऽच्युत॑म् । पु॒रु॒ऽक्षुम् । वि॒श्वऽधा॑यसम् । इय॑र्त । म॒रु॒तः॒ । दि॒वः ॥ ८.७.१३
Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:13
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:20» Mantra:3
| Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:13
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SHIV SHANKAR SHARMA
पुनः उसी अर्थ को कहते हैं।
Word-Meaning: - (दिवः) हे प्रकाशमान (मरुतः) प्राणो ! आप सब मिलकर (नः) हम उपासकों को (रयिम्) ज्ञान विज्ञानरूप धन (आ+इयर्त) दीजिये। जो धन (मदच्युतम्) आनन्दप्रद हो (पुरुक्षुम्) बहुतों में निवासी या बहुतों से प्रशंसनीय हो और (विश्वधायसम्) सबको धारण-पोषण करनेवाला हो ॥१३॥
Connotation: - प्राणायामाभ्यास से जब वे इन्द्रियगण विवश होते हैं, तब उपासक को असाधारण आनन्द मिलता है और वह अपने ज्ञानबल से संसार को धारण-पोषण करनेवाला होता है ॥१३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मरुतः) हे वीरो ! (नः) आप हमारे लिये (मदच्युतम्) शत्रुओं के गर्वहारक (पुरुक्षुम्) बहुतों से प्रशंसित (विश्वधायसम्) सबको धारण करनेवाले (रयिम्) धन को (दिवः) अन्तरिक्ष से (इयर्त) आहरण करें ॥१३॥
Connotation: - जो पुरुष परमात्मा के इस अनन्त ब्रह्माण्ड से पदार्थविद्या द्वारा उपयोग लेते हैं, वे अन्तरिक्ष में सदा स्वेच्छाचारी होकर विचरते और प्रजा के लिये अनन्त प्रकार के धनों का भण्डार भर देते हैं, इसलिये उन्नति चाहनेवाले पुरुष को उक्त विद्या के जानने में पूर्ण परिश्रम करना चाहिये ॥१३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
पुनस्तमर्थमाह।
Word-Meaning: - हे दिवः=द्योतमानाः। मरुतः=प्राणाः। यूयम्। नः=अस्मभ्यम्। रयिम्=ज्ञानविज्ञानधनम्। आ+इयर्त=दत्त। कीदृशं रयिम्। मदच्युतम्=आनन्दस्राविणम्। पुरुक्षुम्=बहुभिः प्रशंसनीयम्। विश्वधायसम्=सर्वधारकम् ॥१३॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धारः ! ( नः) अस्मभ्यम् (मदच्युतम्) गर्वहारकम् (पुरुक्षुम्) बहुस्तुतम् (विश्वधायसम्) सर्वेषां धारकम् (रयिम्) धनम् (दिवः) अन्तरिक्षात् (इयर्त) आहरत ॥१३॥