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मरु॑तो॒ यद्ध॑ वो दि॒वः सु॑म्ना॒यन्तो॒ हवा॑महे । आ तू न॒ उप॑ गन्तन ॥

English Transliteration

maruto yad dha vo divaḥ sumnāyanto havāmahe | ā tū na upa gantana ||

Pad Path

मरु॑तः॑ । यत् । ह॒ । वः॒ । दि॒वः । सु॒म्न॒ऽयन्तः॑ । हवा॑महे । आ । तु । नः॒ । उप॑ । ग॒न्त॒न॒ ॥ ८.७.११

Rigveda » Mandal:8» Sukta:7» Mantra:11 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:11


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SHIV SHANKAR SHARMA

इससे प्राण प्रार्थित होते हैं।

Word-Meaning: - (मरुतः) हे प्राणदेवो ! (सुम्नायन्तः) सुखाभिलाषी हम उपासकगण (यद्+ह) जब-२ शुभकर्म में लगाने के लिये (दिवः) दिव्य (वः) आपको (हवामहे) बुलावें अर्थात् विषयों से छुड़ाकर प्रार्थना में लगावें तो (आ) तब-२ आप सब विषयों को छोड़कर (तु) शीघ्र (नः+उप) हम लोगों के समीप (गन्तन) आजाएँ ॥११॥
Connotation: - प्राण नाम इन्द्रियों का ही है। वारंवार इन्द्रियों से प्रार्थना इसलिये की जाती है कि वे अतिचपल हैं। वेद प्रत्येक वस्तु को चेतनत्व का आरोपकर वर्णन करते हैं, यह ध्यान में सदा रखना चाहिये। ईश्वरोपासनार्थ जब उपासक बैठे, तब प्रथम अपने इन्द्रियों को छू-छूकर देखे कि कोई कलङ्कित तो नहीं हुआ है। इनको विषय से छुड़ाकर ध्यान में लगाना कठिन है, अतः हे मनुष्यों ! सावधान होकर इनको सुशिक्षित बनाओ ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धाओ ! (सुम्नायन्तः) सुख चाहनेवाले हम लोग (यत्, ह) जो (वः) आप लोगों को (दिवः) अन्तरिक्ष से (हवामहे) आह्वान करते हैं (आ, तु) अतः शीघ्र (नः) हमारे अभिमुख (उपगन्तन) आप आवें ॥११॥
Connotation: - इस मन्त्र में उन योद्धाओं का आह्वान कथन किया है, जो विमान द्वारा अन्तरिक्ष में विचरते हैं, किसी अन्य देवविशेष का नहीं ॥११॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

प्राणाः प्रार्थ्यन्ते।

Word-Meaning: - हे मरुतः ! प्राणाः ! सुम्नायन्तः=सुम्नं सुखमात्मन इच्छन्तो वयम्। यद् ह=यदा यदा। दिवः=दिव्यान्। वः=युष्मान्। हवामहे=स्थिरीभवितुं निमन्त्रयामहे। आ=तदा तदा। तु=शीघ्रम्। यूयम्। नोऽस्माकमुपसमीपे। गन्तन=आगच्छत ॥११॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (मरुतः) हे योद्धारः ! (सुम्नायन्तः) सुखमिच्छन्तो वयम् (यद्, ह) यस्मात् (वः) युष्मान् (दिवः) अन्तरिक्षात् (हवामहे) आह्वयामः (आ, तु) अतः क्षिप्रम् (नः) अस्मान् (उपगन्तन) उपागच्छन्तु ॥११॥