Go To Mantra

उ॒रु ण॑स्त॒न्वे॒३॒॑ तन॑ उ॒रु क्षया॑य नस्कृधि । उ॒रु णो॑ यन्धि जी॒वसे॑ ॥

English Transliteration

uru ṇas tanve tana uru kṣayāya nas kṛdhi | uru ṇo yandhi jīvase ||

Pad Path

उ॒रु । नः॒ । त॒न्वे॑ । तने॑ । उ॒रु । क्षया॑य । नः॒ । कृ॒धि॒ । उ॒रु । नः॒ । य॒न्धि॒ । जी॒वसे॑ ॥ ८.६८.१२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:68» Mantra:12 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:12


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (वज्रिवः) हे दुष्टनिग्राहक हे शिष्टानुग्राहक परमन्यायी महेश ! हम प्रजाजन (त्वोतासः) तुझसे सुरक्षित होकर और (त्वा+युजा) तुझ सहाय के साथ (अप्सु) जल में स्नानार्थ और (सूर्य्ये) सूर्य्यदर्शनार्थ (पृत्सु) इस जीवन-यात्रा रूप महासंग्राम में (महत्+धनम्) आयु, ज्ञान, विज्ञान, यश, कीर्ति, लोक, पशु इत्यादि और अन्त में मुक्तिरूप महाधन (जयेम) प्राप्त करें ॥९॥
Connotation: - अप्सु+सूर्य्ये=सूर्य्य को मैं बहुत दिन देखूँ, इस प्रकार की प्रार्थना बहुधा आती है, परन्तु जल में शतवर्ष स्नान करूँ, इस प्रकार की प्रार्थना बहुत स्वल्प है। परन्तु जलवर्षण की प्रार्थना अधिक है। अतः अप्सु=इसका अर्थ जलनिमित्त भी हो सकता है। भारतवासियों को ग्रीष्म ऋतु में जल-स्नान का सुख मालूम है और सृष्टि में जैसे सूर्य्य आदि अद्भुत पदार्थ हैं, तद्वत् जल भी है। अपने शुद्ध आचरण से आयु आदि धन बढ़ावें ॥९॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे इन्द्र ! हे ईश ! हे वज्रिवः ! त्वोतासः=त्वया रक्षिताः सन्तः। त्वा=त्वया। युजा=सहायेन च। अप्सु=जले स्नातुम्। तथा। सूर्य्ये=सूर्य्यनिमित्तम्। सूर्य्यं द्रष्टुमित्यर्थः। पृत्सु=जीवनसंग्रामेषु। महद्धनम्=विज्ञानरूपं धनम्। जयेम ॥९॥