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आ त्वा॒ रथं॒ यथो॒तये॑ सु॒म्नाय॑ वर्तयामसि । तु॒वि॒कू॒र्मिमृ॑ती॒षह॒मिन्द्र॒ शवि॑ष्ठ॒ सत्प॑ते ॥

English Transliteration

ā tvā rathaṁ yathotaye sumnāya vartayāmasi | tuvikūrmim ṛtīṣaham indra śaviṣṭha satpate ||

Pad Path

आ । त्वा॒ । रथ॑म् । यथा॑ । ऊ॒तये॑ । सु॒म्नाय॑ । व॒र्त॒या॒म॒सि॒ । तु॒वि॒ऽकू॒र्मिम् । ऋ॒ति॒ऽसह॑म् । इन्द्र॑ । शवि॑ष्ठ । सत्ऽप॑ते ॥ ८.६८.१

Rigveda » Mandal:8» Sukta:68» Mantra:1 | Ashtak:6» Adhyay:5» Varga:1» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:1


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (आदित्यासः) हे सभासदों सभानेताओ ! (अतिष्कदे) दुःख, व्यसन आपत्ति आदिकों से बचने के और उन्हें भगाने कुचलने के लिये (अस्माकम्) हम लोगों में (तत्+तरः+न+अस्ति) वह वेग, सामर्थ्य विवेक नहीं है, जो आप लोगों में विद्यमान है, अतः हे सभ्यो ! (यूयम्) आप लोग ही (अस्मभ्यम्+मृळत) हमको सुख पहुँचावें और सामर्थ्य प्रदान करें ॥१९॥
Connotation: - जिस कारण राष्ट्रिय सभा के अधीन शतशः सहस्रशः सेनाएँ कोष और प्रबन्ध रहते हैं और वे सब प्रजाओं की ओर से ही एकत्रित रहते हैं, अतः सभा का बल प्रजापेक्षया अधिक हो जाता है, अतः सभा को ही मुख्यतया प्रजाओं की रक्षा आदि का प्रबन्ध करना चाहिये ॥१९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे आदित्यासः=आदित्याः ! अतिष्कदे= दुरितानामतिस्कन्दाय=अतिक्रमणाय। अस्माकम्। तत्तरः=स वेगो नास्ति यो वेगो भवत्सु वर्तते। अतो यूयमस्मभ्यम्। मृळत=मृडत=सुखयत ॥१९॥