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यद्व॑: श्रा॒न्ताय॑ सुन्व॒ते वरू॑थ॒मस्ति॒ यच्छ॒र्दिः । तेना॑ नो॒ अधि॑ वोचत ॥

English Transliteration

yad vaḥ śrāntāya sunvate varūtham asti yac chardiḥ | tenā no adhi vocata ||

Pad Path

यत् । वः॒ । श्रा॒न्ताय॑ । सु॒न्व॒ते । वरू॑थम् । अस्ति॑ । यत् । छ॒र्दिः । तेन॑ । नः॒ । अधि॑ । वो॒च॒त॒ ॥ ८.६७.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:52» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:6


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (दाशुषे) जो लोग प्रजा के कार्य्य में अपना समय, धन, बुद्धि, शरीर और मन लगाते हैं, वे दाश्वान् कहलाते हैं और (अरंकृते) जो अपने सदाचारों से प्रजाओं को भूषित रखते हैं और प्रत्येक कार्य्य में जो क्षम हैं, वे अलंकृत कहाते हैं। इस प्रकार मनुष्यों के लिये (तेषाम्+हि+आदित्यानाम्) उन सभासदों का (चित्रम्) बहुविध (उक्थ्यम्) प्रशंसनीय (वरूथम्) दान, सत्कार, पुरस्कार पारितोषिक और धन आदि होता है ॥३॥
Connotation: - जो राष्ट्र के उच्चाधिकारी हों, वे सदा उपकारी जनों में इनाम बाँटा करें। इससे देश की वृद्धि होती जाती है। केवल अपने स्वार्थ में कदापि भी मग्न नहीं होना चाहिये ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - दाशुषे=दत्तवते=समयादिदानवते। अरंकृते=अलङ्कृते= स्वाचरणैर्जनानामलंकर्त्रे। कर्मणां च पर्य्याप्तकर्त्रे वा जनाय। तेषां हि आदित्यानां सभासदाम्। चित्रं=नानाविधम्। उक्थ्यम्=प्रशंसनीयम्। वरूथम्=धनं पुरस्कारः पारितोषिकञ्च। अस्ति ॥३॥