Devata: आदित्याः
Rishi: मत्स्यः साम्मदो मान्यो वा मैत्रावरुणिर्बहवो वा मत्स्या जालनध्दाः
Chhanda: विराड्गायत्री
Swara: षड्जः
महि॑ वो मह॒तामवो॒ वरु॑ण॒ मित्रार्य॑मन् । अवां॒स्या वृ॑णीमहे ॥
English Transliteration
mahi vo mahatām avo varuṇa mitrāryaman | avāṁsy ā vṛṇīmahe ||
Pad Path
महि॑ । वः॒ । म॒ह॒ताम् । अवः॑ । वरु॑ण । मित्र॑ । अर्य॑मन् । अवां॑सि । आ । वृ॒णी॒म॒हे॒ ॥ ८.६७.४
Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:4
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:51» Mantra:4
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:4
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (अभिष्टये) अभिगत फलों की प्राप्ति के लिये हम प्रजागण (तान्+नु+क्षत्रियान्) उन सुप्रसिद्ध न्यायपरायण बलिष्ठ वीर पुरुषों के निकट (अवः) रक्षा की (याचिषामहे) याचना करते हैं, जो (आदित्यान्) सूर्य्य के समान तेजस्वी प्रतापी और अज्ञानान्ध निवारक हैं और (सुमृळीकान्) जो प्रजाओं आश्रितों और असमर्थों को सुख पहुँचानेवाले हैं ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में रक्षकों और रक्ष्यों के कर्त्तव्य का वर्णन करते हैं। सर्व प्रकार से रक्षक सुखप्रद हों और रक्ष्य उनसे सदा अपनी रक्षा करावें, इसके लिये परस्पर प्रेम और कर वेतन आदि की सुव्यवस्था होनी चाहिये ॥१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - अभिष्टये=अभिमतफलप्राप्तये। वयं प्रजाजनाः। समृळीकान्=सुखप्रदान्। आदित्यान्=सूर्य्यवत् प्रकाशमानान्। त्यान्+नु=तान् खलु। क्षत्रियान्=बलिष्ठान् न्यायपरायणान्। अवः=रक्षणम्। याचिषामहे=याचामहे ॥१॥