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मा नो॑ हे॒तिर्वि॒वस्व॑त॒ आदि॑त्याः कृ॒त्रिमा॒ शरु॑: । पु॒रा नु ज॒रसो॑ वधीत् ॥

English Transliteration

mā no hetir vivasvata ādityāḥ kṛtrimā śaruḥ | purā nu jaraso vadhīt ||

Pad Path

मा । नः॒ । हे॒तिः । वि॒वस्व॑तः । आदि॑त्याः । कृ॒त्रिमा॑ । शरुः॑ । पु॒रा । नु । ज॒रसः॑ । व॒धी॒त् ॥ ८.६७.२०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:20 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:54» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:20


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - इस ऋचा से विनय की प्रार्थना करते हैं, यथा−(प्रचेतसः) हे ज्ञानिवर, हे उदारचेता, हे सुबोद्धा (देवाः) विद्वानो ! उन पुरुषों को (जीवसे) वास्तविक मानव-जीवन प्राप्त करने के लिये (कृणुथ) सुशिक्षित बनाओ, जो जन (शश्वन्तम्+हि) अपराध और पाप करने में सदा अभ्यासी हो गए हैं, परन्तु (एनसः) उनको करके पश्चात्ताप के लिये (प्रतियन्तम्) जो आपके शरण में आ रहे हैं, उन्हें आप सुशिक्षित और सदाचारी बनाने का प्रयत्न करें ॥१७॥
Connotation: - पापियों, अपराधियों, चोरों, व्यसनियों इत्यादि प्रकार के मनुष्यों को अच्छा बनाना भी राष्ट्र का काम है ॥१७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - अनया विनयं प्रार्थयते। यथा−हे प्रचेतसः=हे प्रकृष्टज्ञानाः ! सुबोद्धारः ! हे देवाः=विद्वांसः ! शश्वन्तं हि=अपराधाय सदाभ्यस्तमपि। एनसः=पापात्=पापं विधाय प्रतियन्तं चित्। कृणुथ=कुरुत ॥१७॥