Devata: आदित्याः
Rishi: मत्स्यः साम्मदो मान्यो वा मैत्रावरुणिर्बहवो वा मत्स्या जालनध्दाः
Chhanda: निचृद्गायत्री
Swara: षड्जः
अपो॒ षु ण॑ इ॒यं शरु॒रादि॑त्या॒ अप॑ दुर्म॒तिः । अ॒स्मदे॒त्वज॑घ्नुषी ॥
English Transliteration
apo ṣu ṇa iyaṁ śarur ādityā apa durmatiḥ | asmad etv ajaghnuṣī ||
Pad Path
अपो॒ इति॑ । सु । नः॒ । इ॒यम् । शरुः॑ । आदि॑त्याः । अप॑ । दुः॒ऽम॒तिः । अ॒स्मत् । ए॒तु॒ । अज॑घ्नुषी ॥ ८.६७.१५
Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:15
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:53» Mantra:5
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:15
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (उरुव्रजे) हे अति विस्तीर्णगते (उरुचि) हे बहुशासिके सभे ! (नः) हम लोगों को भी (अनेहः) शत्रुओं से बचा अहिंसित रख विस्तीर्ण (कृधि) बनाओ (वि+प्र+सर्तवे) जिससे हम लोग भी आनन्द से इधर-उधर गमन कर सकें तथा (तोकाय+जीवसे) और यह भी आशीर्वाद करो कि हमारे सन्तानरूप बीज सदा जीवित रहें ॥१२॥
Connotation: - अनेहाः=अहिंसित अपाप इत्यादि। उरुव्रजा=जिस कारण राष्ट्रिय सभा का प्रभाव सम्पूर्ण देश में पड़ता है, अतः वह उरुव्रजा और बहुतों का शासन करती है, अतः वह उरुचि कहाती है। उस सभा का सब ही आदर करते हैं, इस कारण भी वह उरुचि कहाती है ॥१२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे उरुव्रजे=विस्तीर्णगमने ! उरुव्रजा सर्वप्रकीर्णा वितता। हे उरुचि=उरुशासिके बहुशासित्रि ! नः=अस्मानपि। अनेहः=अहिंसितान् विस्तीर्णगतीन्। वि+प्र+सर्तवे= अभिसरणाय। कृधि=कुरु। तोकाय+जीवसे=जीवनं कुरु ॥१२॥