Go To Mantra

ते न॑ आ॒स्नो वृका॑णा॒मादि॑त्यासो मु॒मोच॑त । स्ते॒नं ब॒द्धमि॑वादिते ॥

English Transliteration

te na āsno vṛkāṇām ādityāso mumocata | stenam baddham ivādite ||

Mantra Audio
Pad Path

ते । नः॒ । आ॒स्नः । वृका॑णाम् । आदि॑त्यासः । मु॒मोच॑त । स्ते॒नम् । ब॒द्धम्ऽइ॑व । अ॒दि॒ते॒ ॥ ८.६७.१४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:67» Mantra:14 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:53» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:14


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (उग्रपुत्रे) हे उग्रपुत्रे अदाने सभे ! (जिघांसतः) हिंसक शत्रुओं से (दीने) गाध जल में या गाध संकट में (आ) और (गभीर) अति अगाध संकट में हम लोगों को (पर्षि) सदा बचाया करती है और इसी प्रकार बचाया कर। हे अदिते ! (नः+तोकस्य) हमारे बीजभूत सन्तानों को (माकिः+रिषत्) कोई प्रबल शत्रु भी विनष्ट न करने पावे, ऐसा प्रबन्ध आप करें ॥११॥
Connotation: - दीन गभीर शब्द से अल्प और अधिक क्लेश द्योतित होता है। यहाँ गभीर शब्द का जल भी अर्थ सायण करते हैं। यद्यपि उदक नाम में इस शब्द का पाठ है, तथापि यहाँ स्वाभाविक अर्थ यह प्रतीत होता है कि छोटे बड़े सब संकट से आप हमारी रक्षा करती हैं, अतः आप धन्यवाद के पात्र हैं। आगे हमारा बीज नष्ट न हो, सो उपाय कीजिये ॥११॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे उग्रपुत्रे=न्यायशीलनाद् उग्रा=भयङ्कराः पुत्राः सभा सद्रूपा यस्याः सा उग्रपुत्रा। तत्सम्बोधने हे उग्रपुत्रे ! जिघांसतः=हन्तुमिच्छतः शत्रोः सकाशात्। दीने=क्षीणे=अगभीरे=गाधे। आ=पुनः। गभीरे=अगाधे च। अस्मान्। पर्षि=रक्ष। नः=अस्माकम्। तोकस्य बीजभूतस्य तनयस्य। माकिः रिषत्=मा कश्चिद् हिनस्तु ॥११॥