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कदू॑ म॒हीरधृ॑ष्टा अस्य॒ तवि॑षी॒: कदु॑ वृत्र॒घ्नो अस्तृ॑तम् । इन्द्रो॒ विश्वा॑न्बेक॒नाटाँ॑ अह॒र्दृश॑ उ॒त क्रत्वा॑ प॒णीँर॒भि ॥

English Transliteration

kad ū mahīr adhṛṣṭā asya taviṣīḥ kad u vṛtraghno astṛtam | indro viśvān bekanāṭām̐ ahardṛśa uta kratvā paṇīm̐r abhi ||

Pad Path

कत् । ऊँ॒ इति॑ । म॒हीः । अधृ॑ष्टाः । अ॒स्य॒ । तवि॑षीः । कत् । ऊँ॒ इति॑ । वृ॒त्र॒ऽघ्नः । अस्तृ॑तम् । इन्द्रः॑ । विश्वा॑न् । बे॒क॒ऽनाटा॑न् । अ॒हः॒ऽदृषः॑ । उ॒त । क्रत्वा॑ । प॒णीन् । अ॒भि ॥ ८.६६.१०

Rigveda » Mandal:8» Sukta:66» Mantra:10 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:49» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:10


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! (इदा) इस समय हम लोगों का यह कर्त्तव्य है कि जैसे हम उपासक (ह्यः) गत दिवस (एनम्+वज्रिणम्) इस न्यायपरायण महादण्डधारी जगदीश की स्तुति प्रार्थना द्वारा (इह) इस यज्ञ में (अपीपेम) प्रसन्न कर चुके हैं, वैसे आप लोग भी सदा किया कीजिये और (अद्य) आज (तस्मै+उ) उसी प्रसन्नता के लिये (समनाः) एक मन होकर आप लोग (सुतम्) उससे उत्पादित जगत् को (भरः) धनादिकों से भरण पोषण कीजिये। (श्रुते) जिस कार्य्य के सुनने से वह (नूनम्) अवश्य ही (आ+भूषत) उपासकों को सब तरह से भूषित करता है ॥७॥
Connotation: - ऐसे-ऐसे मन्त्र उपदेश-परंपरा की सिद्धि के लिये हैं। जो उपदेशक प्रतिदिन नियम पालते आए हैं, वे इसके अधिकारी हैं। वे शिक्षा देवें कि हे मनुष्यों ! हम आजकल, परसों, गतदिन और आगामी दिन अपने आचरणों से उसको प्रसन्न रखते हैं और रक्खेंगे। तुम लोग भी वैसा करो ॥७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे मनुष्याः ! वयमुपासकाः। इदा=इदानीम्। एनं वज्रिणम्। इह स्थाने। ह्यः=गते दिवसे। अपीपेम=आप्याययाम स्तुत्या। तस्मा उ अध=तस्मै एवाद्य। समनाः=समनसो यूयं सुतं=उत्पादितमिदं जगत्। भर=भरत धनादिभिः। नूनं सः। श्रुते=स्तोत्रे श्रुते सति। आ+भूषत=आभूषयति ॥७॥