यदि॑न्द्र॒ प्रागपा॒गुद॒ङ्न्य॑ग्वा हू॒यसे॒ नृभि॑: । आ या॑हि॒ तूय॑मा॒शुभि॑: ॥
English Transliteration
yad indra prāg apāg udaṅ nyag vā hūyase nṛbhiḥ | ā yāhi tūyam āśubhiḥ ||
Pad Path
यत् । इ॒न्द्र॒ । प्राक् । अपा॑क् । उद॑क् । न्य॑क् । वा॒ । हू॒यसे॑ । नृऽभिः॑ । आ । या॒हि॒ । तूय॑म् । आ॒शुऽभिः॑ ॥ ८.६५.१
Rigveda » Mandal:8» Sukta:65» Mantra:1
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:46» Mantra:1
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:1
Reads times
SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे इन्द्र ! (ते) तेरे लिये (मानुषे+जने) मुझ मनुष्य के निकट और (पूरुषु) सम्पूर्ण मनुष्यजातियों में (अयम्+सोमः+सूयते) यह तेरा प्रिय सोमयाग किया जाता है, (तस्य+एहि) उसके निकट आ, (प्रद्रव) उसके ऊपर कृपा कर, (पिब) कृपादृष्टि से उसको देख ॥१०॥
Connotation: - पूर्व ऋचाओं में दिखलाया गया है कि वह किसके याग में जाता है, वह किसके गृह पर जाता है या नहीं। इसमें प्रार्थना है कि हे भगवन् ! समस्त मनुष्यजातियों में तेरी पूजा होती है। तू उस पर कृपा कर। इत्यादि ॥१०॥
Reads times
SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे इन्द्र ! ते=त्वदर्थम्। मयि मानुषे जने=मम निकटे तथा पूरुषु=सर्वेषां निकटे। अयं सोमः=तव प्रियो यागः। सूयते=क्रियते। तस्य=तम्। एहि। प्रद्रव। पिब ॥१०॥