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क्व१॒॑ स्य वृ॑ष॒भो युवा॑ तुवि॒ग्रीवो॒ अना॑नतः । ब्र॒ह्मा कस्तं स॑पर्यति ॥

English Transliteration

kva sya vṛṣabho yuvā tuvigrīvo anānataḥ | brahmā kas taṁ saparyati ||

Pad Path

क्व॑ । स्यः । वृ॒ष॒भः । युवा॑ । तु॒वि॒ऽग्रीवः॑ । अना॑नतः । ब्र॒ह्मा । कः । तम् । स॒प॒र्य॒ति॒ ॥ ८.६४.७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:64» Mantra:7 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:45» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:7


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे ईश ! यद्यपि तेरा (क्षयः) निवासस्थान (दिवि) पवित्र शुद्ध कपटादिरहित और परमोत्कृष्ट प्रदेश में है, तू अशुद्धि अपवित्रता के निकट नहीं जाता, तथापि हम सब (चर्षणीनाम्) तेरे ही अधीन प्रजाएँ हैं, तेरे ही पुत्र हैं, अतः हम लोगों के मध्य (आघोषन्) स्वकीय आज्ञाओं को सुनाता हुआ (एहि) आ और (प्रेहि) जा। हे भगवन् ! तू (उभे) दोनों (रोदसी) द्युलोक और पृथिवीलोक को (आपृणासि) प्रसन्न पूर्ण और सुखी रखता है, अतः तेरे अनुग्रहपात्र हम जन भी हैं ॥४॥
Connotation: - ईश्वर परमपवित्र है, वह अशुद्धि को नहीं चाहता, अतः यदि उसकी सेवा में रहना चाहते हो, तो वैसे ही बनो ॥४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे ईश ! यद्यपि। तव क्षयः=निवासस्थानम्। दिवि=परमोत्कृष्टे प्रदेशे वर्तते। तथापि। अस्माकं चर्षणीनां=प्रजानाम्। मध्ये। आघोषन्=स्वकीयमाज्ञां श्रावयन्। एहि=आगच्छ। प्रेहि च। हे भगवन् ! यतस्त्वम्। उभे रोदसी द्यावापृथिव्यौ। आपृणासि=प्रीणयसि ॥४॥