त्यं चि॒त्पर्व॑तं गि॒रिं श॒तव॑न्तं सह॒स्रिण॑म् । वि स्तो॒तृभ्यो॑ रुरोजिथ ॥
English Transliteration
tyaṁ cit parvataṁ giriṁ śatavantaṁ sahasriṇam | vi stotṛbhyo rurojitha ||
Pad Path
त्यम् । चि॒त् । पर्व॑तम् । गि॒रिम् । श॒तऽव॑न्तम् । स॒ह॒स्रिण॑म् । वि । स्तो॒तृऽभ्यः॑ । रु॒रो॒जि॒थ॒ ॥ ८.६४.५
Rigveda » Mandal:8» Sukta:64» Mantra:5
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:44» Mantra:5
| Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:5
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे इन्द्र ! (अराधसः) धनसम्पन्न होने पर जो शुभकर्म के लिये धन खर्च नहीं करते, उन (पणीन्) लुब्ध पुरुषों को (पदानि) चरणाघात से (नि+बाधस्व) दूर कर दे। (महान्+असि) तू महान् है, (हि) क्योंकि (कः+चन) कोई भी मनुष्य (त्वा+प्रति) तुझसे बढ़कर (न) समर्थ नहीं है ॥२॥
Connotation: - पणि=प्रायः वाणिज्य करनेवाले के लिये आता है। यह भी देखा गया है कि प्रायः वाणिज्यकर्त्ता धनिक होते हैं। किन्तु जो धन पाकर व्यय नहीं करते, ऐसे लोभी पुरुष को वेदों में पणि कहते हैं। धनसंचय करके क्या करना चाहिये, यह विषय यद्यपि सुबोध है, तथापि सम्प्रति यह जटिल सा हो गया है। देशहित कार्य्य में धनव्यय करना, यह निर्वाद है, किन्तु देशहित भी क्या है, इसका जानना कठिन है ॥२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे इन्द्र ! अराधसः=धनसम्पन्नानपि शुभकर्मणो धनादातॄन्। पणीन्=लुब्धान् पुरुषान्। पदानि=निबाधस्व। यतस्त्वं महानसि। हि=यतः। न=न खलु। त्वा=त्वां प्रति कश्चन समर्थोऽस्ति ॥२॥