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इन्द्रे॒ विश्वा॑नि वी॒र्या॑ कृ॒तानि॒ कर्त्वा॑नि च । यम॒र्का अ॑ध्व॒रं वि॒दुः ॥

English Transliteration

indre viśvāni vīryā kṛtāni kartvāni ca | yam arkā adhvaraṁ viduḥ ||

Pad Path

इन्द्रे॑ । विश्वा॑नि । वी॒र्या॑ । कृ॒तानि॑ । कर्त्वा॑नि । च॒ । यम् । अ॒र्काः । अ॒ध्व॒रम् । वि॒दुः ॥ ८.६३.६

Rigveda » Mandal:8» Sukta:63» Mantra:6 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:42» Mantra:6 | Mandal:8» Anuvak:7» Mantra:6


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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्र का महत्त्व दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (सः+इन्द्रः+विद्वान्) वह इन्द्रवाच्य ईश्वर सर्वविद् है, अतएव (अङ्गिरोभ्यः) प्राणसहित जीवों के कल्याण के लिये इसने (गाः) पृथिव्यादि लोकों को (अप+अवृणोत्) प्रकाशित किया है अर्थात् जो पृथिव्यादिलोक अव्यक्तावस्था में थे, उनको जीवों के हित के लिये ईश्वर ने रचा है। (तत्) इस कारण (अस्य+तत्+पौंस्यम्) इसका वह पुरुषार्थ और सामर्थ्य (स्तुषे) स्तवनीय है ॥३॥
Connotation: - अङ्गिरस्−यह नाम प्राणसहित जीव का है। यदि यह सृष्टि न होती, तो सदा ही ये नित्य जीव कहीं निष्क्रिय पड़े रहते। इनका विकास न होता। अतः इन्द्र ने इनके कल्याण के लिये यह सृष्टि रची है। इस कारण भी जीवों द्वारा वह स्तवनीय और पूजनीय है ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

इन्द्रस्य महत्त्वं प्रदर्शयति।

Word-Meaning: - खलु इन्द्रो विद्वान्=सर्वविदस्ति। अङ्गिरोभ्यः= प्राणसहितेभ्यो जीवेभ्यः। गाः=पृथिव्यादिलोकान्। अपावृणोत्=प्रकाशितवान्। हे मनुष्याः ! अस्य तत्पौंस्यं=वीर्य्यम्। स्तुषे=स्तवनीयमास्ते ॥३॥