Devata: तिरिन्दिरस्य पारशव्यस्य दानस्तुतिः
Rishi: वत्सः काण्वः
Chhanda: पादनिचृद्गायत्री
Swara: षड्जः
त्रीणि॑ श॒तान्यर्व॑तां स॒हस्रा॒ दश॒ गोना॑म् । द॒दुष्प॒ज्राय॒ साम्ने॑ ॥
English Transliteration
trīṇi śatāny arvatāṁ sahasrā daśa gonām | daduṣ pajrāya sāmne ||
Pad Path
त्रीणि॑ । श॒तानि॑ । अर्व॑ताम् । स॒हस्रा॑ । दश॑ । गोना॑म् । द॒दुः । प॒ज्राय॑ । साम्ने॑ ॥ ८.६.४७
Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:47
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:7
| Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:47
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SHIV SHANKAR SHARMA
ईश्वर से प्राप्त दान की स्तुति।
Word-Meaning: - परमात्मा मुझको बहुत धन देता है। सो जो कोई परमात्मा की उपासना करता और आत्मगुणों को जानने के लिये प्रयत्न करता है, वह महाधनाढ्य होता है, यह शिक्षा इस ऋचा से दी जाती है। जैसे−(अर्वताम्) उत्तम, मध्यम और अधम तीन प्रकार के जो इन्द्रियरूप घोड़े हैं अथवा अश्वादि पशु उनके (त्रीणि+शतानि) तीन सौ अर्थात् तीन सौ घोड़े (गोनाम्) पाँच कर्मेन्द्रिय और पाँच ज्ञानेन्द्रियरूप जो दश इन्द्रिय हैं अथवा गौ आदि पशु, उनके (दश+सहस्रा) दश सहस्र (पज्राय) परमोद्योगी (साम्ने) सामवित् स्तुतिपाठक मुझको परमात्मा (ददुः) देता है ॥४७॥
Connotation: - जिस हेतु मैं उद्योगी और सामवित् हूँ, अतः सामगान और उसकी आज्ञापालन से ईश्वर की कृपा पाकर इस लोक में बहुत धन प्राप्त करता हूँ। हे मनुष्यों ! तुम भी उसकी आज्ञा पर चलो और उद्योगी बनो, तो संसार में परम सुखी रहोगे ॥४७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (पज्राय, साम्ने) जो विविध विद्याओं का अर्जक सामवेद का ज्ञाता है, उसको (अर्वतां, त्रीणि, शतानि) तीन सौ घोड़े (गोनां, सहस्रा, दश) और दश सहस्र गौयें (ददुः) उपासक देते हैं ॥४७॥
Connotation: - साङ्गोपाङ्ग सामवेद के ज्ञाता विद्वान् पुरुष को उपासक तीन सौ अश्व और दश सहस्र गौयें देते हैं अर्थात् परमात्मपरायण पुरुष, जिसको परमात्मा ऐश्वर्य्यशाली करता है, वह सामवेद के ज्ञाता को उक्त दान देकर प्रसन्न करता है, ताकि अन्य पुरुष उत्साहसम्पन्न होकर वेदों का अध्ययन करते हुए परमात्मपरायण हों ॥४७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
ईशदानस्तुतिः।
Word-Meaning: - मह्यं परमात्मा बहूनि वस्तूनि ददाति। स यो वा आत्मानमेवोपास्ते, आत्मगुणान् विज्ञातुं यतते सोऽपि महाधनाढ्यो भवतीत्यनया शिक्षते। यथा−स परमदेवः। पज्राय=परमोद्योगिने। साम्ने=सामविदे= परमात्मस्तावकाय। मह्यम्। अर्वतामश्वानाम्= कर्मज्ञानान्तःकरणरूपाणां त्रिविधानामिन्द्रियाणां वा। त्रीणि शतानि। अपि च। गोनाम्=गवां ज्ञानकर्मेन्द्रियाणां द्विविधानां वा। दश सहस्रा=सहस्राणि। ददुर्ददौ=दत्तवान्। अतोऽहं तं स्तौमि ॥४७॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (पज्राय, साम्ने) प्रार्जकाय सामविदे (अर्वताम्, त्रीणि, शतानि) अश्वानां त्रीणिशतानि (गोनां, दश, सहस्रा) गवां दशसहस्राणि (ददुः) ददति उपासकाः ॥४७॥