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इ॒मां सु पू॒र्व्यां धियं॒ मधो॑र्घृ॒तस्य॑ पि॒प्युषी॑म् । कण्वा॑ उ॒क्थेन॑ वावृधुः ॥

English Transliteration

imāṁ su pūrvyāṁ dhiyam madhor ghṛtasya pipyuṣīm | kaṇvā ukthena vāvṛdhuḥ ||

Pad Path

इ॒माम् । सु । पू॒र्व्याम् । धिय॒म् । मधोः॑ । घृ॒तस्य॑ । पि॒प्युषी॑म् । कण्वाः॑ । उ॒क्थेन॑ । व॒वृ॒धुः॒ ॥ ८.६.४३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:43 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:17» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:43


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SHIV SHANKAR SHARMA

बुद्धि बढ़ानी चाहिये, यह शिक्षा इससे देते हैं।

Word-Meaning: - (कण्वाः) ग्रन्थप्रणेता विद्वान् जन (इमाम्+धियम्) अपनी-२ बुद्धि को (उक्थेन) पवित्र वचन के मनन से अथवा प्रणयन द्वारा (सु+वावृधुः) अच्छे प्रकार बढ़ाते हैं या बढ़ावें। कैसी बुद्धि है−(पूर्व्याम्) पूर्वजनों से पालित और (म१धोः) मधुर पदार्थ का और (घृत१स्य) घृत दूध, दही आदि का (पिप्युषीम्) पोषण करनेवाली अर्थात् जो बुद्धि पूर्वजों से चली आती है और जिसके द्वारा इस लोक में सुख पा सकते हैं, उसको पुनः-२ मनन, अध्ययन और ग्रन्थप्रणयन आदि व्यापारों से बुद्धिमान् जन बढ़ाते रहते हैं ॥४३॥
Connotation: - बुद्धिवृद्धि के लिये प्राचीन और नवीन ग्रन्थों का अध्ययन, विद्वानों के साथ संवाद, अपने से मननादि व्यापार, विदेशादि गमन, प्राकृत पदार्थों का अभ्यास, इस प्रकार के अनेक उपाय कर्तव्य हैं ॥४३॥
Footnote: १−मधु और घृत। जहाँ बुद्धि की वृद्धि होती है, वहाँ शरीरपोषण के लिये अच्छे पदार्थ मिलते हैं। विद्वान् जनों का लोग अच्छे-२ पदार्थों से सत्कार करते हैं। अतः यहाँ भगवान् उपदेश देते हैं कि बुद्धि प्राप्त करो, उससे तुम्हें सुख मिलेगा ॥४३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (कण्वाः) विद्वान् पुरुष (मधोः, घृतस्य, पिप्युषीम्) मधुर विषयाकार वृत्ति की बढ़ानेवाली (पूर्व्याम्) परमात्मसम्बन्धी (इमाम्, धियम्) इस बुद्धि को (उक्थेन) वेदस्तुति द्वारा (वावृधुः) बढ़ाते हैं ॥४३॥
Connotation: - हे परमात्मन् ! विद्वान् पुरुष अपनी मेधा को वेदवाक्यों द्वारा उन्नत करते हैं कि वह आपको प्राप्त करानेवाली हो अर्थात् हमारी बुद्धि सूक्ष्म हो कि जो सूक्ष्म से सूक्ष्म विषयों को अवगत करती हुई आपकी सूक्ष्मता को अनुभव करनेवाली हो ॥४३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

बुद्धिर्वर्धनीयेति शिक्षते।

Word-Meaning: - कण्वाः=ग्रन्थविरचयितारो मेधाविनो जनाः। उक्थेन=पवित्रवचनेन। इमाम्=स्वीयाम्। धियम्=बुद्धिम्। सु=सुष्ठु। वावृधुः=वर्धयन्ति=उन्नयन्ति। कीदृशीं धियम्। पूर्व्याम्=पूर्वतरैः पुरुषैः पालिताम्। पुनः। मधोर्मधुरस्य पदार्थस्य। घृतस्य च। पिप्युषीम्=पोषयित्रीम्=प्रदात्रीम्। जना बुद्ध्या सर्वं प्राप्नुवन्तीत्यनया शिक्षते ॥४३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (कण्वाः) विद्वांसः (मधोः, घृतस्य, पिप्युषीम्) मधुराया विषयाकारवृत्तेः वर्धयित्रीम् (पूर्व्याम्) परमात्मसम्बन्धिनीम् (इमाम्, धियम्) इमां बुद्धिम् (उक्थेन) वेदस्तुतिभिः (वावृधुः) वर्धयन्ति ॥४३॥