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अत॑: समु॒द्रमु॒द्वत॑श्चिकि॒त्वाँ अव॑ पश्यति । यतो॑ विपा॒न एज॑ति ॥

English Transliteration

ataḥ samudram udvataś cikitvām̐ ava paśyati | yato vipāna ejati ||

Pad Path

अतः॑ । स॒मु॒द्रम् । उ॒त्ऽवतः॑ । चि॒कि॒त्वान् । अव॑ । प॒श्य॒ति॒ । यतः॑ । वि॒पा॒नः । एज॑ति ॥ ८.६.२९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:29 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:29


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः उसकी महिमा दिखलाई जाती है।

Word-Meaning: - (विपानः) सर्वपालक वह परमात्मा (यतः) जिस कारण (एजति) सर्वत्र विद्यमान है और सर्व में स्थित होकर सबको चला रहा है। (अतः) इस कारण वह (चिकित्वान्) सर्वज्ञ है और (समुद्रम्) आकाश आदि सब सूक्ष्म वस्तुओं को और (उद्वतः) ऊर्ध्वस्थित सूर्य्यादि पदार्थों को (अव+पश्यति) देखता है अर्थात् संभाले हुए स्थित है ॥२९॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! जो सर्वज्ञ और सर्वप्रेरक है, उसी को गाओ ॥२९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यतः, विपानः, एजति) जो कि व्याप्त होता हुआ वह परमात्मा चेष्टा करता है (अतः) अतः वह (चिकित्वान्) सर्वज्ञ परमात्मा (उद्वतः) ऊर्ध्वदेश से (समुद्रम्) अन्तरिक्ष को (अवपश्यति) नीचा करके देखता है ॥२९॥
Connotation: - वह चेतनस्वरूप परमात्मा अपनी व्यापकता से ऊर्ध्व, अन्तरिक्ष तथा अधोभाग में स्थित सबको अपनी चेष्टारूप शक्ति से देखता, सब लोक-लोकान्तरों को नियम में रखता और सबको यथाभाग सब पदार्थों का विभाग करता है ॥२९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तस्य महिमा प्रदर्श्यते।

Word-Meaning: - विपानः=विशेषेण पाति रक्षतीति विपानः सर्वपालकः परमात्मा। यतो यस्माद्धेतोः। एजति=सर्वत्रैव तिष्ठति। अतोऽस्मात्। स चिकित्वान्=सर्वं चेतति जानातीति चिकित्वान् सर्वज्ञोऽस्ति। अतएव। सः। सर्वमेव पश्यति=अध ऊर्ध्वं सर्वं पश्यतीति। समुद्रम्=अधःस्थानं वस्तु। यद्वा। समभिद्रवद् अतिसूक्ष्मं परमाण्वादिकम्। उद्वतः=ऊर्ध्वस्थितान् सूर्य्यादींश्च पश्यति। नहि तस्मात् किमपि गुप्तमस्तीत्यर्थः ॥२९॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (यतः, विपानः, एजति) यस्मात् स परमात्मा व्याप्नुवन् चेष्टते (अतः) अस्मात् (चिकित्वान्) सर्वज्ञः सः (उद्वतः) ऊर्ध्वदेशात् (समुद्रम्) अन्तरिक्षम् (अवपश्यति) अधः कृत्वा पश्यति ॥२९॥