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उ॒प॒ह्व॒रे गि॑री॒णां सं॑ग॒थे च॑ न॒दीना॑म् । धि॒या विप्रो॑ अजायत ॥

English Transliteration

upahvare girīṇāṁ saṁgathe ca nadīnām | dhiyā vipro ajāyata ||

Pad Path

उ॒प॒ऽह्व॒रे । गि॒री॒णाम् । स॒म्ऽग॒थे । च॒ । न॒दीना॑म् । धि॒या । विप्रः॑ । अ॒जा॒य॒त॒ ॥ ८.६.२८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:6» Mantra:28 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:14» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:2» Mantra:28


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SHIV SHANKAR SHARMA

किस रीति से मनुष्य मेधावी या ब्राह्मण होता है, यह शिक्षा इससे देते हैं।

Word-Meaning: - (धिया) मनुष्य विज्ञान से और कर्म से (विप्रः+अजायत) मेधावी या ब्राह्मण होता है। विज्ञान कैसे प्राप्त होता और कहाँ कर्म कर्त्तव्य हैं, इस अपेक्षा में उपह्वर इत्यादि कहते हैं−(गिरीणाम्) हिमालय आदि पर्वतों के (उपह्वरे) समीप बैठकर साधन करने से और (नदीनाम्+च+संगथे) नदियों के संगम पर परमात्मा के ध्यान से विज्ञान प्राप्त होता है और वैसे ही स्थान में कर्म भी करने चाहियें। यद्वा (गिरीणाम्) मेघ आदि चलायमान पदार्थों के मूलभूत वस्तुओं को पुनः-२ विचार से तथा नदी आदि द्रवद् द्रव्यों के पुनः-२ मनन करने से बुद्धि होती है, तब उससे मनुष्य बुद्धिमान् होता है ॥२८॥
Connotation: - जो कोई निर्जन स्थान प्राप्तकर ईश्वरीय विभूतियों के तत्त्वों की चिन्ता करता है, वह अवश्य उसको पाता है और वह धीरे-२ मेधावी होता है। सब मनुष्यों को उचित है कि तत्त्वों की जिज्ञासा करें ॥२८॥
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ARYAMUNI

अब परमात्मा की सर्वव्यापकता कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (गिरीणाम्, उपह्वरे) पर्वतों के गहर प्रदेश में और (नदीनां, संगथे, च) नदियों के संगम में (विप्रः) वह विद्वान् परमात्मा (धिया) स्वज्ञानरूप से (अजायत) विद्यमान है ॥२८॥
Connotation: - वह पूर्ण परमात्मा, जो इस ब्रह्माण्ड के रोम-रोम में व्यापक हो रहा है, वह सबको नियम में रखनेवाला और स्वकर्मानुसार सबका फलप्रदाता है। उसका ज्ञान सदा एकरस रहने के कारण कभी मिथ्या नहीं होता और वह अपने ज्ञान से ही सर्वत्र विद्यमान है ॥२८॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

कया रीत्या मनुष्यो मेधावी ब्राह्मणो वा भवतीत्यनया शिक्षते।

Word-Meaning: - मनुष्यः। धिया=विज्ञानेन कर्मणा च। विप्रः=मेधावी वा ब्राह्मणो वा। अजायत=जायते। कथं विज्ञानमुपलभ्यते क्व च कर्माणि कर्त्तव्यानीत्यपेक्षायामाह उपह्वरे इत्यादि। गिरीणाम्=हिमालयप्रभृतिपर्वतानाम्। उपलक्षणया समस्तानां स्थावराणाम्। उपह्वरे=समीपस्थाने उपविश्य साधनेन। च=पुनः। नदीनां संगथे=संगमे च। परमात्मध्यानेन। इत्येवंविधस्थानं प्राप्य मननेन धीर्जायते। तया धिया विप्रो भवतीत्यर्थः ॥२८॥
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ARYAMUNI

अथ परमात्मनः सर्वव्यापकत्वं कथ्यते।

Word-Meaning: - (गिरीणाम्, उपह्वरे) पर्वतानाम् गह्वरप्रदेशे (नदीनां, संगथे, च) नदीनां संगमे च (विप्रः) विद्वान् सः (धिया) स्वज्ञानरूपेण (अजायत) स्वसत्तया विद्यते ॥२८॥