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उ॒त नो॒ गोम॑ती॒रिष॑ उ॒त सा॒तीर॑हर्विदा । वि प॒थः सा॒तये॑ सितम् ॥

English Transliteration

uta no gomatīr iṣa uta sātīr aharvidā | vi pathaḥ sātaye sitam ||

Pad Path

उ॒त । नः॒ । गोऽम॑तीः । इषः॑ । उ॒त । सा॒तीः । अ॒हः॒ऽवि॒दा॒ । वि । प॒थः । सा॒तये॑ । सि॒त॒म् ॥ ८.५.९

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:9 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:2» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:9


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SHIV SHANKAR SHARMA

विविध कर्मों का उपदेश देते हैं।

Word-Meaning: - (उत) और (अहर्विदा१) हे दैनिक कर्मों के ज्ञाता राजा तथा अमात्य ! आपकी रक्षा के कारण जिनसे (नः) हम लोगों को (गोमतीः) गवादि पशुयुक्त (इषः) विविध अन्न हों (उत) और (सातीः) व्यापार में विविध लाभ हों, ऐसे उत्तमोत्तम उपाय आप करें। पुनः हे राजन् और अमात्य ! आप दोनों (सातये) विविध धनों के लाभार्थ (पथः) विविध मार्गों को (वि+सितम्) विशेषरूप से बाँधें ॥९॥
Connotation: - जिन वाणिज्यादि उपायों से देश समृद्ध हो, राजा उन्हें विचार प्रजाओं की सम्मति से प्रसारित करे ॥९॥
Footnote: १−अहर्विद्=दिन के जाननेवाले अर्थात् आज कौन-२ लौकिक या वैदिक कृत्य कर्तव्य हैं, यह प्रथम ही राजा और कर्मचारी वर्गों को जानना उचित है। अथवा समय-२ की बातें जाननेवाले हों ॥९॥
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ARYAMUNI

अब अन्य प्रार्थना करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (अहर्विदा) हे प्रातःस्मरणीय (उत) अनन्तर (नः) हमको (गोमतीः) गोयुक्त (उत) और (सातीः) देने योग्य (इषः) ऐश्वर्यों को प्राप्त कराएँ और (सातये) भोग के लिये (पथः) मार्गों को (विसितम्) बाधारहित करें ॥९॥
Connotation: - हे प्रातःस्मरणीय कर्मयोगिन् तथा ज्ञानयोगिन् ! आप कृपा करके हमको गवादि धन से युक्त करें। हमको भोगयोग्य पदार्थ प्राप्त कराएँ और हमारे मार्गों को बाधारहित करें अर्थात् दुष्ट जन, जो हमारे यज्ञादि कर्मों में बाधक हैं, उनको क्षात्रबल से वशीभूत करके हमको अभयदान दें, जिससे हम निर्भय होकर वैदिक कर्मानुष्ठान में प्रवृत्त रहें ॥९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

विविधकर्माण्युपदिशति।

Word-Meaning: - उत=अपि च। हे अहर्विदा=अहर्विदौ= अहान्याह्निककृत्यानि यौ वित्तो जानीतस्तौ। अद्य कानि कानि कृत्यानि लौकिकानि वैदिकानि चानुष्ठेयानि सन्तीति कर्मचारिभिर्वेदितव्यम्। हे राजानौ ! यैरुपायैः। गोमतीः=गवादिपशुभिर्युक्ताः। इषोऽन्नानि। नोऽस्माकं भवेयुः। उतापि च। सातीः=सातयो लाभा भवन्तु। चोपायाः कर्तव्या युवाभ्याम्। सनतेः सन्यतेर्वा क्तिन्। पुनः। हे राजानौ ! युवाम्। सातये=तेषां गवादीनां लाभाय। पथः=मार्गान्। वि सितम्=विशेषेण बध्नीतम्=प्रदर्शयतमित्यर्थः। षिञ् बन्धने ॥९॥
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ARYAMUNI

अथ प्रार्थनान्तरं वर्ण्यते।

Word-Meaning: - (अहर्विदा) हे प्रातःस्मरणीयौ (उत) अथ (नः) अस्मान् (गोमतीः) गोयुक्तानि (उत) अथ (सातीः) दातव्यानि (इषः) ऐश्वर्याणि प्रापयतम् (सातये) भोगाय (पथः) मार्गान् (विसितम्) विमुञ्चयतम् ॥९॥