आ व॑हेथे परा॒कात्पू॒र्वीर॒श्नन्ता॑वश्विना । इषो॒ दासी॑रमर्त्या ॥
English Transliteration
ā vahethe parākāt pūrvīr aśnantāv aśvinā | iṣo dāsīr amartyā ||
Pad Path
आ । व॒हे॒थे॒ इति॑ । प॒रा॒कात् । पू॒र्वीः । अ॒श्नन्तौ॑ । अ॒श्वि॒ना॒ । इषः॑ । दासीः॑ । अ॒म॒र्त्या॒ ॥ ८.५.३१
Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:31
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:7» Mantra:1
| Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:31
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SHIV SHANKAR SHARMA
पुनः उसी विषय को कहते हैं।
Word-Meaning: - (अश्नन्तौ) हे गुणों से प्रजाओं के मन में व्याप्त होते हुए (अमर्त्या) हे यश से अमरणधर्मा (अश्विना) राजा और कर्मचारी वर्ग ! आप दोनों (दासीः) चोर डाकू नास्तिक आदिकों की (पूर्वीः) बहुत (इषः) अभिलषित सम्पत्तियों को (पराकात्) दूरदेश से भी हम लोगों के लिये (आवहेथे) लाया करते हैं ॥३१॥
Connotation: - प्रजापीड़क चोरादिकों के धनों को छीनकर प्रजाओं में बाँट देवें ॥३१॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अमर्त्या) हे अहिंसनीय (अश्विना) व्यापक शक्तिवाले ! आप (पराकात्) दूरदेश से (पूर्वीः) स्वपूर्वजों की (दासीः) शत्रुगृह में स्थित (इषः) धनादि शक्तियों को (अश्नन्तौ) प्राप्त करते हुए (आवहेथे) उनको धारण करते हैं ॥३१॥
Connotation: - हे अहिंसनशील=किसी को दुःख न देनेवाले ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप देश-देशान्तरों में स्थित धन को अर्थात् आपके पूर्वजों का धनरूप ऐश्वर्य्य, जो उनसे शत्रुओं ने हरण किया हुआ था, उसको आप उनसे प्राप्त कर स्वयं उपभोग करते हैं। यह आप जैसे शूरवीरों का ही प्रशंसनीय कार्य्य है। जिसका भाव यह है कि जो पुरुष अपने पूर्वजों की शत्रुगृह में गई हुई सम्पत्ति को पुनः प्राप्त करता है, वह प्रशंसा के योग्य होता है ॥३१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
पुनस्तमर्थमाह।
Word-Meaning: - हे अश्नन्तौ=गुणैः प्रजामनसि व्याप्नुवन्तौ। हे अमर्त्या=अमर्त्यौ=यशसा अमरणधर्माणौ। हे अश्विना=राजानौ। युवाम्। दासीः=दासा उपक्षयितारश्चौरादयः। तत्सम्बन्धिनीः। पूर्वीः=पूर्णाः। बह्वीः। इषः=इष्यमाणाः सम्पत्तीः। पराकात्=परस्मादपि देशादाहृत्य। आवहेथे=आवहथः ॥३१॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अमर्त्या) हे अहिंस्यौ (अश्विना) व्यापकौ ! (पराकात्) दूरदेशात् (पूर्वीः) पूर्वसम्बन्धिनीः (दासीः) शात्रवीः (इषः) धनादिशक्तीः (अश्नन्तौ) प्राप्नुवन्तौ (आवहेथे) धत्थः ॥३१॥