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यु॒वाभ्यां॑ वाजिनीवसू॒ प्रति॒ स्तोमा॑ अदृक्षत । वाचं॑ दू॒तो यथो॑हिषे ॥

English Transliteration

yuvābhyāṁ vājinīvasū prati stomā adṛkṣata | vācaṁ dūto yathohiṣe ||

Pad Path

यु॒वाभ्या॑म् । वा॒जि॒नी॒व॒सू॒ इति॑ वाजिनीऽवसू । प्रति॑ । स्तोमाः॑ । अ॒दृ॒क्ष॒त॒ । वाच॑म् । दू॒तः । यथा॑ । ओ॒हि॒षे॒ ॥ ८.५.३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:3 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:1» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:3


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजकर्तव्य का उपदेश देते हैं।

Word-Meaning: - (वाजिनीव१सू) हे वाजिनीवसु राजा और अमात्य ! (युवाभ्याम्) आप दोनों के लिये सर्वत्र (स्तोमाः) प्रशंसावचन ही (प्रति+अदृक्षत) देख पड़ें और सुने जायें, निन्दावचन नहीं। आप ऐसे ही शुभ कर्म करें कि सर्वत्र आपकी प्रशंसा ही हो, निन्दा नहीं। तथा (यथा) जैसे (दूतः) दूत या किंकर (वाचम्) स्वामी का वचन (ओहिषे) चाहता है, वैसे ही हम आपकी शुभाज्ञा की प्रतीक्षा करते हैं ॥३॥
Connotation: - जिससे प्रजाओं का अभ्युदय हो, वही कार्य राजाओं को कर्तव्य है, यह आशय है ॥३॥
Footnote: १−वाजिनीवसु=प्रशस्त बुद्धि, यागक्रिया, प्रजारक्षा और व्यापार अन्न आदि का नाम वाजिनी है। वाजिनी ही धन है जिसको, वह वाजिनीवसु ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वाजिनीवसू) हे बलसहित धनवाले (युवाभ्याम्) मार्ग में चलते हुए आप (स्तोमाः) स्तोत्रों को (प्रत्यदृक्षत) सुनते और हम लोग (दूतः, यथा) दूत=सेवक के समान (वाचम्, ओहिषे) आपकी आज्ञासम्बन्धी वाणी की प्रतीक्षा करते हैं ॥३॥
Connotation: - इस मन्त्र का भाव यह है कि उषाकाल का सेवन करनेवाले ऐश्वर्य्यसम्पन्न कर्मयोगी की उसी काल में स्तोता लोग स्तुति करते और कर्मचारीगण आज्ञा प्राप्तकर अपने-अपने कार्य्य में प्रवृत्त होते हैं। अतएव प्रत्येक पुरुष को उचित है कि सूर्योदय से प्रथम ही शौच, सन्ध्या अग्निहोत्रादि आवश्यक कार्यों से निवृत्त होकर सूर्योदय होने पर अपने व्यावहारिक कार्यों में प्रवृत्त हो। ऐसा पुरुष अवश्य ही अपने अभीष्ट कार्यों को सिद्ध करता है, अन्य नहीं ॥३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राजकर्त्तव्यमुपदिशति।

Word-Meaning: - हे वाजिनीवसू=प्रशस्ता बुद्धिर्यागक्रिया शुभक्रिया प्रजारक्षा वाणिज्या च वाजिनी। सैव वसु धनं ययोस्तौ वाजिनीवसू। हे राजानौ। युवाभ्यां निमित्ताय। इतस्ततः प्रजागृहे। स्तोमाः=प्रशंसावचनानि। प्रत्यदृक्षत= प्रतिदृश्यन्ताम्। न निन्दावचनानि। अपि च। यथा। दूतः=किंकरः। वाचम्=सेव्यस्य वचनम्। ओहिषे=प्रतीक्षते=याचते। तथैव वयमपि युवयोः शुभाज्ञां प्रतीक्षामहे ॥३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वाजिनीवसू) हे बलसहितधनयुक्तौ (युवाभ्याम्) मार्गे गच्छद्भ्यां युवाभ्याम् (स्तोमाः) स्तोत्राणि (प्रत्यदृक्षत) प्रतिदृश्यन्ते (दूतः, यथा) वयं दूता इव (वाचम्, ओहिषे) आज्ञावाचं प्रतीक्षामहे ॥३॥