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ए॒ताव॑द्वां वृषण्वसू॒ अतो॑ वा॒ भूयो॑ अश्विना । गृ॒णन्त॑: सु॒म्नमी॑महे ॥

English Transliteration

etāvad vāṁ vṛṣaṇvasū ato vā bhūyo aśvinā | gṛṇantaḥ sumnam īmahe ||

Pad Path

एताव॑त् । वा॒म् । वृ॒ष॒ण्व॒सू॒ इति॑ वृषण्ऽवसू । अतः॑ । वा॒ । भूयः॑ । अ॒श्वि॒ना॒ । गृ॒णन्तः॑ । सु॒म्नम् । ई॒म॒हे॒ ॥ ८.५.२७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:27 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:6» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:27


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SHIV SHANKAR SHARMA

राजा की कर्तव्यता कहते हैं।

Word-Meaning: - (वृषण्वसू) हे धनवर्षिता परमोदार राजा और कर्मचारिवर्ग ! (गृणन्तः) परमात्मा की स्तुति करते हुए हम सब (एतावत्) इतना दृश्यमान गवादि पशुओं को (वा) अथवा (अतः) इससे भी (भूयः) अधिक (सुम्नम्) सुख को (वाम्) आप लोगों से (ईमहे) चाहते हैं, सो दीजिये ॥२७॥
Connotation: - लौकिक और पारलौकिक दोनों धनों की वृद्धि के लिये राजा प्रयत्न करे ॥२७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृषण्वसू) हे वर्षणशील धनवाले (अश्विना) व्यापक ! (एतावत्) इतनी (अतः, भूयः, वा) अथवा इससे भी अधिक (सुम्नम्) सुख की राशि (वाम्) आपकी (गृणन्तः) स्तुति करते हुए हम (ईमहे) याचना करते हैं ॥२७॥
Connotation: - हे सुखराशि तथा सुख के देनेवाले ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! हम लोग आपकी सब प्रकार से अधिकाधिक स्तुति करते हुए आपसे वारंवार याचना करते हैं कि कृपा करके सब प्रकार के कष्टों से बचाकर हमको सुख प्रदान करें ॥२७॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

राजकर्त्तव्यतामाह।

Word-Meaning: - हे वृषण्वसू=वसुवर्षितारौ परमोदारौ। हे अश्विना=अश्विनौ राजानौ। वयं गृणन्तः=स्तुतिं कुर्वन्तः। एतावद्धनम्=गोप्रभृतिदृश्यमानं धनम्। वा=अपि वा। अतोऽस्मादपि भूयोऽधिकतरम् सुम्नम्=सुखम्। वाम्=युवाम्। ईमहे=याचामहे ॥२७॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (वृषण्वसू) हे वर्षुकधनौ (अश्विना) व्यापकौ ! (एतावत्) एतादृशम् (अतः, भूयः, वा) अतोऽधिकं वा (सुम्नम्) सुखकरम् (वाम्) युवाम् (गृणन्तः) स्तुवन्तः (ईमहे) याचामः ॥२७॥