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उ॒त नो॑ दि॒व्या इष॑ उ॒त सिन्धूँ॑रहर्विदा । अप॒ द्वारे॑व वर्षथः ॥

English Transliteration

uta no divyā iṣa uta sindhūm̐r aharvidā | apa dvāreva varṣathaḥ ||

Pad Path

उ॒त । नः॒ । दि॒व्याः । इषः॑ । उ॒त । सिन्धू॑न् । अ॒हः॒ऽवि॒दा॒ । अप॑ । द्वारा॑ऽइव । व॒र्ष॒थः॒ ॥ ८.५.२१

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:21 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:5» Mantra:1 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:21


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SHIV SHANKAR SHARMA

सदा अन्न और जल का प्रबन्ध करे, यह दिखलाते हैं।

Word-Meaning: - (अहर्विदा) हे प्रजाओं के दैनिक कर्मों के ज्ञाता राजन् तथा अमात्य ! आप दोनों (नः) हम लोगों के लिये (दिव्याः) अच्छी-२ हितकारी (इषः) अन्नादि सम्पत्तियों को (द्वारा+इव) शकटादि द्वारा और (सिन्धून्) प्रवहणशील जलों को (द्वारा+इव) नहरों व नलों के द्वारा (अप+वर्षथः) वर्षा किया करें ॥२१॥
Connotation: - राजवर्ग को उचित है कि देश में अन्नों का अभाव न होने देवें। कृषि और जल का बहुत अच्छा प्रबन्ध करें ॥२१॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अहर्विदा) हे प्रातःस्मरणीय ! (नः) हमारे लिये (दिव्या, इषः) दिव्य इष्ट पदार्थ (उत्) और (सिन्धून्) कृत्रिम नदियों=नहरों को (द्वारा इव) द्वार पर प्राप्त होने के समान (अप, वर्षथः) उत्पन्न करें ॥२१॥
Connotation: - हे प्रातःस्मरणीय ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! हमारे लिये उत्तमोत्तम पदार्थ प्रदान करें, जिनके सेवन से विद्या, बल तथा बुद्धि की वृद्धि हो। हे भगवन् ! हमारे लिये नहरों का सुप्रबन्ध कीजिये, जिससे कृषि द्वारा अन्न अधिकता से उत्पन्न हो तथा जलसम्बन्धी अन्य कार्यों में सुविधा हो अर्थात् मनुष्य तथा पशु अन्न और जल से सदा संतुष्ट रहें, ऐसी कृपा करें ॥२१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

सदान्नजलप्रबन्धं कुर्य्यादिति दर्शयति।

Word-Meaning: - हे अहर्विदा=अहानि प्रजानां दैनिककर्माणि वित्तो यौ ता अहर्विदौ राजानौ। उतापि च। नोऽस्मदर्थम्। दिव्याः=हितसाधिनीः। इषः=अन्नादिसम्पत्तीः। उत सिन्धून्=स्यन्दनशीलानि जलानि च। द्वारा इव=देवखातादिद्वारया। अपवर्षथः=सिञ्चथः ॥२१॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (अहर्विदा) हे प्रातःस्मरणीयौ ! (उत) अथ च (नः) अस्मभ्यं (दिव्या, इषः) दिव्यानिष्टपदार्थान् (उत) अथ (सिन्धून्) कुल्याः (द्वारा, इव) द्वारस्था इव (अप, वर्षथः) उत्पादयतम् ॥२१॥