यो ह॑ वां॒ मधु॑नो॒ दृति॒राहि॑तो रथ॒चर्ष॑णे । तत॑: पिबतमश्विना ॥
English Transliteration
yo ha vām madhuno dṛtir āhito rathacarṣaṇe | tataḥ pibatam aśvinā ||
Pad Path
यः । ह॒ । वा॒म् । मधु॑नः । दृतिः॑ । आऽहि॑तः । र॒थ॒ऽचर्ष॑णे । ततः॑ । पि॒ब॒त॒म् । अ॒श्वि॒ना॒ ॥ ८.५.१९
Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:19
| Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:4» Mantra:4
| Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:19
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SHIV SHANKAR SHARMA
राजकर्तव्यता का उपदेश करते हैं।
Word-Meaning: - (अश्विना) हे राजन् तथा हे सचिव ! युद्धादिस्थल में जब-२ आप पीना चाहें तब-२ (वाम्) आपके (रथचर्षणे) रथ के मध्यभाग में (आहितः) स्थापित (यः+ह) जो यह (मधुनः) मधु का (दृतिः) चर्मपात्र है (ततः) उसमें ले लेकर (पिबतम्) पिया करें ॥१९॥
Connotation: - युद्ध में जाने के समय रथ के ऊपर खान-पान की सामग्री भी रख लेनी चाहिये ॥१९॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अश्विना) हे तेजस्विन् (यः ह) जो यह (मधुनः, दृतिः) मधुररस का पात्र (वाम्) आपके (रथचर्षणे) रथ से देखने योग्य स्थान में (आहितः) स्थापित किया है (ततः) तिस पात्र से आप (पिबतं) पान करें ॥१९॥
Connotation: - हे तेजस्वी पुरुषो ! यह सोमरस का पात्र, जो आपके रथ से ही दृष्टिगत होता है, आपके पानार्थ स्थापित किया है, कृपा कर इस पात्र से पानकर प्रसन्न हों और हम लोगों को अपने सदुपदेशों से ओजस्वी तथा तेजस्वी बनावें, यह हमारी आपसे प्रार्थना है ॥१९॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
कर्तव्यतामुपदिशति।
Word-Meaning: - हे अश्विना=अश्विनौ राजानौ ! युद्धादिस्थले यदा यदा युवां पिपासेतं तदा तदा। वाम्=युवयोः। रथचर्षणे=रथस्य मध्यभागे। आहितः=स्थापितः। योऽयं ह। मधुनो दृतिश्चर्मपात्रं वर्तते ततस्तस्माद् यथेच्छम्। मधु पिबतम् ॥१९॥
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ARYAMUNI
Word-Meaning: - (अश्विना) हे तेजस्विनौ ! (यः, ह) यश्च (मधुनः, दृतिः) मधुररसस्य पात्रं (वां) युवयोः (रथचर्षणे) रथसमीपे (आहितः) स्थापितः (ततः) तत् पात्रात् (पिबतं) पानं कुरुतम् ॥१९॥