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अ॒स्मे आ व॑हतं र॒यिं श॒तव॑न्तं सह॒स्रिण॑म् । पु॒रु॒क्षुं वि॒श्वधा॑यसम् ॥

English Transliteration

asme ā vahataṁ rayiṁ śatavantaṁ sahasriṇam | purukṣuṁ viśvadhāyasam ||

Pad Path

अ॒स्मे इति॑ । आ । व॒ह॒त॒म् । र॒यिम् । श॒तऽव॑न्तम् । स॒ह॒स्रिण॑म् । पु॒रु॒ऽक्षुम् । वि॒श्वऽधा॑यसम् ॥ ८.५.१५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:15 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:15


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SHIV SHANKAR SHARMA

प्रजाओं में राजा विविध धन स्थापित करे, यह उपदेश देते हैं।

Word-Meaning: - हे राजन् तथा हे सभाध्यक्ष ! आप दोनों सभा की आज्ञा के अनुसार (शतवन्तम्) शतवस्तुसम्पन्न तथा (सहस्रिणम्) सहस्रों सामर्थ्य से युक्त अर्थात् बहुत (पुरुक्षुम्) बहुत आदमियों को निवास देनेवाले अतिविस्तीर्ण (विश्वधायसम्) सर्व उपयोगी वस्तुओं को अपने में धारण करनेवाले (रयिम्) विमान आदि धन (अस्मे) हम लोगों के लिये (आवहतम्) प्रस्तुत कीजिये ॥१५॥
Connotation: - वाणिज्य के साधन, समुद्रमार्ग प्रसार, नौकासंचय और अन्यान्य वस्तुओं की वृद्धिकरण, विज्ञान की उन्नति, इस प्रकार के विविध वस्तुओं से देश को सदा सुसज्जित रखना राजधर्म है ॥१५॥
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ARYAMUNI

अब सत्कारानन्तर यजमान को ऐश्वर्य्यविषयक प्रार्थना करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - हे ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप (अस्मे) हमारे लिये (शतवन्तं) सैकड़ों तथा (सहस्रिणं) सहस्रों पदार्थों सहित (पुरुक्षं) अनेक प्राणियों के आश्रयभूत (विश्वधायसं) सबकी रक्षा करनेवाले (रयिं) ऐश्वर्य्य को (आवहतं) प्राप्त कराएँ ॥१५॥
Connotation: - अब सोमरस द्वारा सत्कार करने के अनन्तर यजमान प्रार्थना करता है कि हे सब प्राणियों के आश्रयभूत तथा सबकी रक्षा करनेवाले ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप कृपा करके मुझको ऐश्वर्य्यप्राप्ति का मार्ग बतलाएँ जिससे मैं ऐश्वर्य्ययुक्त होकर यज्ञादि कर्मों को विधिवत् कर सकूँ और यज्ञ के निधि परमात्मा की आज्ञापालन में सदा तत्पर रहूँ ॥१५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

प्रजासु विविधानि धनानि निधातव्यानीत्युपदिशति।

Word-Meaning: - हे राजसभाध्यक्षौ। युवाम्। शतवन्तम्=शतवस्तुसंयुक्तम्। सहस्रिणम्=सहस्रसामर्थ्ययुक्तम्। पुरुक्षुम्= बहुनिवासप्रदम्। पुरवो बहवः क्षयन्ति निवसन्त्यत्र। क्षयतिर्निवासकर्मा वेदे। पुनः। विश्वधायसम्=विश्वेषां सर्वेषां वस्तूनां धारकम्। ईदृशम्। रयिम्=धनम्। अस्मे=अस्मदर्थम्। आवहतम्=प्रापयतम् ॥१५॥
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ARYAMUNI

अथ सत्कारानन्तरं तयोरैश्वर्यविषयकप्रार्थना कथ्यते।

Word-Meaning: - हे ज्ञानयोगिकर्मयोगिणौ ! (अस्मे) अस्मभ्यं (शतवन्तं) शतैः पदार्थैः सहितं (सहस्रिणं) सहस्रैः पदार्थैः सहितं (पुरुक्षुं) बहुनिवासं (विश्वधायसं) सर्वेषां धारकं (रयिं) ऐश्वर्य्यं (आवहतं) प्रापयतम् ॥१५॥