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नि षु ब्रह्म॒ जना॑नां॒ यावि॑ष्टं॒ तूय॒मा ग॑तम् । मो ष्व१॒॑न्याँ उपा॑रतम् ॥

English Transliteration

ni ṣu brahma janānāṁ yāviṣṭaṁ tūyam ā gatam | mo ṣv anyām̐ upāratam ||

Pad Path

नि । सु । ब्रह्म॑ । जना॑नाम् । या । अवि॑ष्टम् । तूय॑म् । आ । ग॒त॒म् । मो इति॑ । सु । अ॒न्यान् । उप॑ । अ॒र॒त॒म् ॥ ८.५.१३

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:13 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:13


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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनः राजकर्तव्य का उपदेश देते हैं।

Word-Meaning: - हे राजा और सभाध्यक्ष ! (या) जिन आप दोनों ने (जनानाम्) मनुष्यों में (ब्रह्म) ब्रह्मज्ञान और नाना विद्याओं की (नि+सु) अत्यन्त अच्छे प्रकार (आविष्टम्) रक्षा की है। वे आप (तूयम्) शीघ्र (आगतम्) हमारे यज्ञों वा शुभकर्मों में आवें और (अन्यान्) चोर डाकू व्यभिचारी दुराचारी आदि दुष्ट पुरुषों को (मो) कदापि भी न (सूपारतम्) बचावें किन्तु इनको दण्ड देकर सुशिक्षित बनावें ॥१३॥
Connotation: - जो राजपुरुष ज्ञान-विज्ञान की सदा रक्षा करते हैं और सर्वदा जनताओं के ऊपर ध्यान रखते, जिनका जीवन ही प्रजार्थ है, वे ही सर्वत्र आदरणीय हैं ॥१३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (या) जिन आपने (जनानां) मनुष्यों के (ब्रह्म) यज्ञ की (सु) भलीभाँति (नि, अविष्टं) नितान्त रक्षा की, वे आप (तूयं) शीघ्र (आगतं) आएँ (अन्यान्) हमसे अन्य के समीप (मो) मत (सूपारतं) चिरकाल तक विलम्ब करें ॥१३॥
Connotation: - हे ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप यज्ञों के रक्षक, याज्ञिक पुरुषों के नितान्त सेवी और विद्वानों का पूजन करनेवाले हैं, इसलिये प्रार्थना है कि आप विलम्ब न करते हुए शीघ्र ही हमारे यज्ञस्थान को पधारकर सुशोभित करें ॥१३॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

पुनस्तमर्थमाह।

Word-Meaning: - हे राजानौ ! या=यौ युवाम्। जनानाम्=मनुष्याणां मध्ये। ब्रह्म=ब्रह्मज्ञानम्। नि=नितराम्। सु=सुष्ठु। आविष्टमवितवन्तौ रक्षितवन्तौ तौ। युवाम्। तूयम्=शीघ्रम्। अस्मानपि। आगतमागच्छतम्। हे राजानौ ! अन्यान्=चोरादीन् पुरुषान्। मो=मैव। सूपारतम्=रक्षतम्। किन्तु तान् विनाशयतमेव ॥१३॥
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ARYAMUNI

Word-Meaning: - (या) यौ युवां (जनानां) मनुष्याणां (ब्रह्म) यज्ञं (सु) सुष्ठुरीत्या (नि, अविष्टं) नितराम् अरक्षिष्टं तौ (तूयं) तूर्यम् (आगतं) आगच्छतम् (अन्यान्) अस्मदितरान् (मो) मा (सूपारतं) उपगच्छतम् ॥१३॥