Go To Mantra

अ॒स्मभ्यं॑ वाजिनीवसू म॒घव॑द्भ्यश्च स॒प्रथ॑: । छ॒र्दिर्य॑न्त॒मदा॑भ्यम् ॥

English Transliteration

asmabhyaṁ vājinīvasū maghavadbhyaś ca saprathaḥ | chardir yantam adābhyam ||

Pad Path

अ॒स्मभ्य॑म् । वा॒जि॒नी॒व॒सू॒ इति॑ वाजिनीऽवसू । म॒घव॑त्ऽभ्यः । च॒ । स॒ऽप्रथः॑ । छ॒र्दिः । य॒न्त॒म् । अदा॑भ्यम् ॥ ८.५.१२

Rigveda » Mandal:8» Sukta:5» Mantra:12 | Ashtak:5» Adhyay:8» Varga:3» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:1» Mantra:12


Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

प्रजाओं के लिये विस्तीर्ण गृहादि प्रबन्ध भी राजा करे, यह उपदेश इससे देते हैं।

Word-Meaning: - (वाजिनीवसू) हे वाणिज्यधन ! हे यागक्रियाधन ! हे बुद्धिधन ! हे अन्नसम्पन्न राजन् और अमात्य ! आप दोनों (अस्मभ्यम्) हम लोगों के लिये (च) तथा (मघवद्भ्यः) विज्ञानी, ज्ञानी और श्रेष्ठ पुरुषों के लिये (सप्रथः) सर्वतः विस्तीर्ण (अदाभ्यम्) और अहिंसनीय सुदृढ़ (छर्दिः) गृह का (यन्तम्) प्रबन्ध करें ॥१२॥
Connotation: - वाणिज्य, सुमति, यागक्रिया, बुद्धि आदि का नाम वाजिनी है। जिनके यही वाजिनी धन है, वे वाजिनीवसु। धनिक पुरुष का नाम वेद में मघवा या मघवान् आता है। राजा को उचित है कि अकिञ्चन और धनिक दोनों के लिये निवासस्थान का प्रबन्ध करें ॥१२॥
Reads times

ARYAMUNI

अब निवास के लिये गृहादि की प्रार्थना करना कथन करते हैं।

Word-Meaning: - (वाजिनीवसू) हे बल से रत्नोत्पादक ! (अस्मभ्यम्, मघवद्भ्यः, च) मुझ विद्वान् तथा धनवान् के लिये (सप्रथः) सुप्रसिद्ध (अदाभ्यम्) बाधारहित (छर्दिः) निवासस्थान का (यन्तम्) प्रबन्ध करें ॥१२॥
Connotation: - हे बल से रत्न उत्पादन करनेवाले ज्ञानयोगिन् तथा कर्मयोगिन् ! आप धनवान् पुरुषों और हम विद्वानों के लिये उत्तम=सब ऋतुओं में आराम तथा आनन्ददायक और जिसमें मनुष्य तथा पशु नीरोग रह सकें और जो सब उपद्रवों से रहित हो, ऐसे निवासगृह को यन्तं=यत्न कीजिये, यह आपसे हमारी प्रार्थना है ॥१२॥
Reads times

SHIV SHANKAR SHARMA

प्रजाविस्तीर्णगृहादिप्रबन्धोऽपि राज्ञा कर्तव्य इत्युपदिशति।

Word-Meaning: - हे वाजिनीवसू=वाजिनी वाणिज्या सुमतिर्यागक्रिया अन्नादि च। सा वसूनि धनानि ययोस्तौ। युवाम्। अस्मभ्यम्। मघवद्भ्यश्च=मघं ज्ञानविज्ञानलक्षणं सम्पत्तिलक्षणञ्च धनमस्त्येषामिति। मघवद्भ्यः=विज्ञानिभ्यः श्रेष्ठेभ्यश्च। सप्रथः=सर्वतः। पृथु विस्तीर्णम्। अदाभ्यम्=केनाप्यहिंस्यम्। ईदृशं छर्दिर्गृहम्। यन्तम्=नियच्छतं दत्तम् ॥१२॥
Reads times

ARYAMUNI

अथ निवासगृहप्रार्थना उच्यते।

Word-Meaning: - (वाजिनीवसू) हे बलेन वसुमन्तौ ! (अस्मभ्यम्, मघवद्भ्यः, च) अस्मभ्यं धनवद्भ्यः च (सप्रथः) प्रसिद्धम् (अदाभ्यम्) अबाध्यम् (छर्दिः) निवासम् (यन्तम्) प्रबध्नीतम् ॥१२॥