त्वां हि स॒त्यम॑द्रिवो वि॒द्म दा॒तार॑मि॒षाम् । वि॒द्म दा॒तारं॑ रयी॒णाम् ॥
English Transliteration
tvāṁ hi satyam adrivo vidma dātāram iṣām | vidma dātāraṁ rayīṇām ||
Pad Path
त्वाम् । हि । स॒त्यम् । अ॒द्रि॒ऽवः॒ । वि॒द्म । दा॒तार॑म् । इ॒षाम् । वि॒द्म । दा॒तार॑म् । र॒यी॒णाम् ॥ ८.४६.२
Rigveda » Mandal:8» Sukta:46» Mantra:2
| Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:1» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:2
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे सर्वमङ्गलमयदेव ! (यत्) जो विज्ञान या धन आपने (वीळौ) सुदृढ़तर स्थान में (यत्) जो धन (स्थिरे) निश्चल स्थान में (यत्) जो (पर्शाने) विकट स्थान में (पराभृतम्) रक्खा है, (तत्) उस सब (स्पार्हम्) स्पृहणीय (वसु) धन को इस जगत् में (आभर) अच्छी तरह से भर दो ॥४१॥
Connotation: - पर्वत, समुद्र और पृथिवी के अभ्यन्तर में बहुत धन गुप्त हैं। वैज्ञानिक पुरुष इसको जानते हैं। विद्वानों को उचित है कि उस-२ धन को जगत् के कल्याण के लिये प्रकाशित करें ॥४१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे सर्वमङ्गलमयदेव ! यद्विज्ञानम्। धनं वा वीळौ=दृढे स्थाने। यत्। स्थिरे=अचले स्थाने। यत्। पर्शाने=विकटे स्थाने। पराभृतम्=स्थापितम्। तत्सर्वं स्पार्हम्। वसु आभर ॥४१॥