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द॒दी रेक्ण॑स्त॒न्वे॑ द॒दिर्वसु॑ द॒दिर्वाजे॑षु पुरुहूत वा॒जिन॑म् । नू॒नमथ॑ ॥

English Transliteration

dadī rekṇas tanve dadir vasu dadir vājeṣu puruhūta vājinam | nūnam atha ||

Pad Path

द॒दिः । रेक्णः॑ । त॒न्वे॑ । द॒दिः । वसु॑ । द॒दिः । वाजे॑षु । पु॒रु॒ऽहू॒त॒ । वा॒जिन॑म् । नू॒नम् । अथ॑ ॥ ८.४६.१५

Rigveda » Mandal:8» Sukta:46» Mantra:15 | Ashtak:6» Adhyay:4» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:15


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (यः) जो इन्द्रवाच्य ईश्वर (ऋष्वः) प्रकृतियों में दृश्य है या जो परम दर्शनीय है या महान् है, पुनः जो (श्रावयत्सखा) उपासकों का परम प्रसिद्ध मित्र है, यद्वा जिसके सखा अर्थात् उपासक जिसके यशों को सुनानेवाले हैं, (सः) वह इन्द्र (विश्वा+इत्) सब ही (जनिमा) जन्म (वेद) जानता है अर्थात् सकल प्राणियों का जन्म जानता है, पुनः वह (पुरुष्टुतः) बहुतों से स्तुत है। (तम्+तविषम्) उस महाबल (इन्द्रम्) ईश्वर की (विश्वे+मानुषाः) सर्व मनुष्य और (यतस्रुचः) सर्व याज्ञिकगण (युगा) सर्वदा (हवन्ते) स्तुति करते हैं ॥१२॥
Connotation: - हे मनुष्यों ! जिसकी उपासना सब कोई आदिकाल से करते आए हैं, आज भी उसी की उपासना करो, वह चिरन्तन ईश्वर है ॥१२॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - य इन्द्रः। ऋष्वः=प्रकृतिषु दृश्योऽस्ति। यश्च। श्रावयत्सखा=उपासकानां परमप्रसिद्धः सखाऽस्ति। स इन्द्रः। विश्वा+इत्=विश्वान्येव सर्वाण्येव। जनिमा=जन्मानि। वेद=जानाति। यश्च। पुरुष्टुतः=बहुस्तुतः। तं तविषं=बलवत्तमम् इन्द्रम्। विश्वे मानुषाः=सर्वे मनुष्याः। पुनः। यतस्रुचः=याज्ञिकाश्च। युगा=कालान्। सर्वेषु समयेषु। हवन्ते=आह्वयन्ति=स्तुवन्ति ॥१२॥