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को नु म॑र्या॒ अमि॑थित॒: सखा॒ सखा॑यमब्रवीत् । ज॒हा को अ॒स्मदी॑षते ॥

English Transliteration

ko nu maryā amithitaḥ sakhā sakhāyam abravīt | jahā ko asmad īṣate ||

Pad Path

कः । नु । म॒र्याः॒ । अमि॑थितः । सखा॑ । सखा॑यम् । अ॒ब्र॒वी॒त् । ज॒हा । कः । अ॒स्मत् । ई॒ष॒ते॒ ॥ ८.४५.३७

Rigveda » Mandal:8» Sukta:45» Mantra:37 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:49» Mantra:2 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:37


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (शूर) हे न्यायी महावीर परेश ! (नः) हम दुर्बल जनों को (एकस्मिन्+आगसि) एक अपराध होने पर (मा+वधीः) मत दण्डित करें। (द्वयोः) दो अपराध हो जाने पर (मा) हमको दण्ड न देवें (त्रिषु) तीन अपराध होने पर भी हमको दण्ड न देवें। किं बहुना (भूरिषु) बहुत अपराध होने पर भी (माः) हमको दण्ड न देवें ॥३४॥
Connotation: - मनुष्य अन्तःकरण से दुर्बल है। वह बारम्बार ईश्वरीय आज्ञाओं को तोड़ता रहता है। उससे बात-बात में अनेक अपराध हो जाते हैं। देखता है कि इन सबके बदले में यदि मुझको दण्ड मिला तो सदा कारागार में मैं निगडित ही रहूँगा। अतः मानवदुर्बलता के कारण ऐसी प्रार्थना होती है ॥३४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे शूर ! महावीर परेश ! नोऽस्मान्। एकस्मिन् आगसि अपराधे सति। मा वधीः=मा हिंसीः। द्वयोरागसोः अस्मान् मा वधीः। त्रिषु+आगःसु। अस्मान् मा वधीः। हे ईश ! भूरिषु आगःसु। मा वधीः ॥३४॥