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त॒रणिं॑ वो॒ जना॑नां त्र॒दं वाज॑स्य॒ गोम॑तः । स॒मा॒नमु॒ प्र शं॑सिषम् ॥

English Transliteration

taraṇiṁ vo janānāṁ tradaṁ vājasya gomataḥ | samānam u pra śaṁsiṣam ||

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Pad Path

त॒रणि॑म् । वः॒ । जना॑नाम् । त्र॒दम् । वाज॑स्य । गोऽम॑तः । स॒मा॒नम् । ऊँ॒ इति॑ । प्र । शं॒सि॒ष॒म् ॥ ८.४५.२८

Rigveda » Mandal:8» Sukta:45» Mantra:28 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:47» Mantra:3 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:28


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - (वृत्रहा) निखिल विघ्नविनाशक इन्द्र देव मनुष्य को (परावति) किसी दूर देश में या गृह पर (या) जो (सना) पुराने या (नवा) नवीन धन (चुच्युवे) देता है (ता) उनको धनस्वामी (संसत्सु) सभाओं में (प्र+वोचत) कह सुनावे ॥२५॥
Connotation: - परमात्मा की कृपा से मनुष्य को जो कुछ प्राप्त हो, उसके लिये ईश्वर को धन्यवाद देवे और सभा में ईश्वरीय कृपा का फल भी सुना दे, ताकि लोगों को विश्वास और प्रेम हो ॥२५॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - वृत्रहा=निखिलविघ्ननिवारक इन्द्रो देवः। या=यानि। सना=सनातनानि=पुराणानि। नवा=नवीनानि च। परावति=दूरे वा गृहे वा। चुच्युवे=प्रेरयति ददाति। तानि सर्वाणि। संसत्सु=सभासु। स्वामी प्रवोचत=प्रब्रूताम् ॥२५॥