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इ॒ह त्वा॒ गोप॑रीणसा म॒हे म॑न्दन्तु॒ राध॑से । सरो॑ गौ॒रो यथा॑ पिब ॥

English Transliteration

iha tvā goparīṇasā mahe mandantu rādhase | saro gauro yathā piba ||

Pad Path

इ॒ह । त्वा॒ । गोऽप॑रीणसा । म॒हे । म॒न्द॒न्तु॒ । राध॑से । सरः॑ । गौ॒रः । यथा॑ । पि॒ब॒ ॥ ८.४५.२४

Rigveda » Mandal:8» Sukta:45» Mantra:24 | Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:46» Mantra:4 | Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:24


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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - हे मनुष्यों ! उस (इन्द्राय) परमात्मा के लिये (स्तोत्रम्+गायत) अच्छे-२ स्तोत्र गाओ (यम्) जिस इन्द्र को (युधि) युद्ध में (नकिः) कोई नहीं (वृण्वते) निवारण कर सकते, यद्वा जिसको युद्ध के लिये कोई स्वीकार नहीं करता है। पुनः वह इन्द्र कैसा है, (पुरुनृम्णाय) सर्वधनसम्पन्न और (सत्वने) परमबलस्वरूप ॥२१॥
Connotation: - समर में भी परमात्मा का ही गान करे, क्योंकि उसी की कृपा से वहाँ भी विजय होती है ॥२१॥
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SHIV SHANKAR SHARMA

Word-Meaning: - तस्मै। इन्द्राय। स्तोत्रम्। गायत। यम्। युधि=युद्धे। नकिः=न केऽपि। वृण्वते=निवारयितुं शक्नुवन्ति यद्वा युद्धाय स्वीकुर्वन्ति। कीदृशाय। पुरुनृम्णाय=बहुधनाय सर्वधनाय। पुनः। सत्वने=परमबलस्वरूपाय ॥२१॥