प्र॒त्नं होता॑र॒मीड्यं॒ जुष्ट॑म॒ग्निं क॒विक्र॑तुम् । अ॒ध्व॒राणा॑मभि॒श्रिय॑म् ॥
English Transliteration
pratnaṁ hotāram īḍyaṁ juṣṭam agniṁ kavikratum | adhvarāṇām abhiśriyam ||
Pad Path
प्र॒त्नम् । होता॑रम् । ईड्य॑म् । जुष्ट॑म् । अ॒ग्निम् । क॒विऽक्र॑तुम् । अ॒ध्व॒राणा॑म् । अ॒भि॒ऽश्रिय॑म् ॥ ८.४४.७
Rigveda » Mandal:8» Sukta:44» Mantra:7
| Ashtak:6» Adhyay:3» Varga:37» Mantra:2
| Mandal:8» Anuvak:6» Mantra:7
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - (दीदिवः) हे समस्त जगत् को स्वतेज से प्रदीप्त करनेहारा (अग्ने) हे सर्वाधार महेश ! (समिधानस्य) सम्यक् सर्वत्र देदीप्यमान (ते) तेरी (बृहन्तः) महान् और (शुक्रासः) शुचि (अर्चयः) सूर्य्यादिरूप दीप्तियाँ (उदीरते) ऊपर-ऊपर फैल रही हैं ॥४॥
Connotation: - ईश्वर सबमें व्यापक होकर स्वतेज से सबको प्रदीप्त कर रहा है। अग्नि और सूर्य्यादिक में उसी की दीप्ति है, पृथिवी में उसकी शक्ति से सर्व वस्तु उत्पन्न हो रही हैं। वायु में उसकी गति है। इस अनन्त ईश्वर की उपासना करो, जिससे हे मनुष्यों ! तुम्हारा कल्याण हो ॥४॥
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SHIV SHANKAR SHARMA
Word-Meaning: - हे दीदिवः=जगतः स्वभाससा दीपयितः ! हे अग्ने सर्वाधार ईश ! समिधानस्य=सम्यक् सर्वत्र दीप्यमानस्य। ते=तव। बृहन्तः=महान्तः। शुक्रासः=शुक्राः। शुचयः। अर्चयः=सूर्य्यादिरूपा दीप्तयः। उदीरते=ऊर्ध्वं प्रसरन्ति ॥४॥